नई दिल्ली। रसायन व उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में बताया कि चार साल पहले जेनरिक दवाओं की हिस्सेदारी तीन फीसद से भी कम थी, लेकिन आज देश के दवा बाजार में यह सात फीसद हो गई है। उन्होंने कहा कि देश के 600 जिलों में 3866 जन औषधि केंद्र काम कर रहे हैं। इन केंद्रों को 700 जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इन केंद्रों को तहसील स्तर तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। सदस्यों की तरफ से जेनरिक दवाओं की गुणवत्ता का सवाल उठाये जाने पर राज्यमंत्री ने कहा कि जन औषधि केंद्रों के लिए 120 से भी ज्यादा कंपनियों से दवाएं खरीदी जाती हैं। खरीदते वक्त उत्पादन स्थल पर ही लैब में इनको टेस्ट किया जाता है। इसके बाद सरकारी भंडारण के वक्त एनएबीएल लैब में इनकी गुणवत्ता परखी जाती है। उसके बाद ही इन्हें जन औषधि केंद्रों में बिक्री के लिए भेजा जाता है। आज तक जन औषधि केंद्र से बेची एक भी दवा का सैंपल टेस्ट में फेल नहीं हुआ।