चंडीगढ़। पीजीआई कर्मचारी यूनियन दवा मामले को लेकर कल 24 जुलाई को चिकित्सा अधीक्षक प्रो. अनिल कुमार गुप्ता के कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन करेेगी। यूनियन के प्रधान अश्विनी मुंजाल ने आरोप लगाया कि चिकित्सा अधिकारी के रवैये के चलते पीजीआई स्टाफ व इनके परिवारों को काफी दिनों से दवाएं नहीं मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि 8 हजार से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं। इस मसले पर 18 अप्रैल को पीजीआई कर्मचारी संघ, नर्सिंग स्टाफ व एमटीए के प्रतिनिधियों ने चिकित्सा अधीक्षक से मुलाकात की। उन्हें दवा की किल्लत और इसके कारण स्टाफ को हो रही परेशानी के बारे में बताया। लेकिन इस समस्या पर कोई सुनवाई नहीं हुई। पीजीआई की अपनी डिस्पेंसरी है। उन्होंने आरोप लगाया कि डिस्पेंसरी में जानबूझ कर कम दवाएं उपलब्ध की जाती हैं। प्राइवेट केमिस्टों से मंहगे दामों पर दवा खरीदी जाती है। उन्होंने दावा किया कि वर्ष 2016 से पहले पीजीआई में लोकल खरीद की दवाओं की आपूर्ति 24 घंटे के अंदर की जाती थी। कर्मचारी यूनियन के प्रधान ने कहा कि वर्ष 2016 में प्रो़ गुप्ता ने तत्कालीन निदेशक से एक तानाशाहीभरा आदेश स्वीकृत कराया। इसके मुताबिक पहले दवाओं की खरीद जनऔषधि से होगी। वहां न हों तो यह अमृत फार्मेसी से ली जाएंगी। दोनों जगह न हों तो लोकल केमिस्ट से खरीदी जाएंगी। अगले साल प्रो.गुप्ता ने जेनरिक और पेटेंट दवाओं के लिए अलग-अलग केमिस्ट स्वीकृत किए। अप्रैल 2018 में चिकित्सा अधीक्षक ने पीजीआई स्टाफ को आश्वासन दिया कि दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।