बीबीएन (हिमाचल प्रदेश)। दवा लाइसेंस अब एक ही रखने के फरमान जारी कर दिए गए हैं। फार्मा कंपनियों को दूसरा दवा लाइसेंस सेरेंडर करना होगा। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के इन नए निर्देशों से सूबे के दवा उद्योगों में हडक़ंप मच गया है।
डीसीजीआई ने किए निर्देश जारी
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने हाल ही में निर्देश जारी किए हैं। अब ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के तहत दोहरे लाइसेंस वाली फार्मा कंपनियों को एक लाइसेंस सरेंडर करना होगा। प्रथम चरण में 58 दवा कंपनियों की पहचान की गई है। ये दवा उद्योग बीबीएन क्षेत्र में स्थापित है। इनके पास दोहरे लाइसेंस हैं।
नकली दवा निर्माण पर रोक की कवायद
यह कवायद न्यूट्रास्यूटिकल्स की आड़ में नकली दवा निर्माण पर रोक के लिए की जा रही है। इस संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी केंद्रीय नियामक को निर्देश दिए थे। हिमाचल ड्रग्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने राज्य दवा नियंत्रक के पक्ष राहत व समाधान के लिए आवाज उठायी है।
एसोसिएशन का कहना है कि अचानक उद्योग बंद होने से जहां वित्तीय नुकसान होगा, वहीं कइयों की नौकरी छूट सकती है। अर्थव्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उद्योग को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए निर्देश वापस लेने की मांग की गई है।
एक परिसर में दो अलग-अलग लाइसेंस के साथ उत्पादन नहीं किया जा सकेगा। इन निर्देशों के बाद राज्य दवा नियंत्रण प्राधिकरण ने 58 दवा उद्योगों की रिपोर्ट औषधि महानियंत्रक को सौंपी है। इससे दवा निर्माताओं में हडक़ंप मच गया है। दरअसल, इन दवा निर्माताओं ंने दोनों सुविधाओं में करोड़ों का निवेश किया हुआ है।
डीसीजीआई मामले की समीक्षा करे : एचडीएमए
एचडीएमए के अध्यक्ष डॉ. राजेश गुप्ता ने कहा कि इन आदेशों और नियमों में दो विपरीत विचार व्यक्त किए गए हैं। डीसीजीआई से मामले को देखने और समान दिशा-निर्देश तैयार करने की मांग की है। इन इकाइयों में से कोई भी कानून का उल्लंघनकर्ता नहीं है। उन्होंने शीर्ष निकाय के निर्णय के बाद दोनों उत्पादों का निर्माण किया था।