अम्बाला। स्वास्थ्य पर टैक्स की मांग आमतौर पर दवा व्यवसाई करते ही रहते हैं परंतु सरकार की मंशा दवा व्यवसाइयों के विरुद्ध ही चलती रहती है। 20 अप्रैल 2018 से 50 हजार के दवा बिल पर ई वे बिल के प्रचलन के विरुद्ध दवा व्यवसाइयों के राज्य संगठनों व राष्ट्रीय संगठन ने ई वे बिल को समाप्त करने की मांग सशक्त तरीके से उठाई । जिसका परिणाम सर्वप्रथम हिमाचल सरकार फिर मध्यप्रदेश सरकार ने दवा पर ई वे बिल को तुरन्त प्रभाव से अपने-अपने राज्य में रदद् कर दिया । शीघ्र ही अन्य राज्य भी दवाओं पर ई वे बिल के प्रचलन पर रोक लगाने के बारे विचार कर रहे हैं ।
उल्लेखनीय है कि ई वे बिल की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि दवा व्यवसाई को एक बिल के लिए करीब 30 से 40 मिनट का समय खर्च करना पड़ता है। इस प्रक्रिया के कारण किसी की जान पर भी बन सकती है । अत: केंद्र सरकार को ही दवाओं पर ई वे बिल को निरस्त कर देना चाहिए।