नई दिल्ली। सरकार घरेलू कंपनियों को सस्ते आयात से सुरक्षा देने के लिए एक चीनी दवा पर आयात शुल्क लगाने पर विचार कर रही है। यह दवा विभिन्न प्रकार के जीवाणु संक्रमण के इलाज में काम आती है। वाणिज्य मंत्रालय की जांच शाखा व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने आरती ड्रग्स की शिकायत के क्रम में चीन से कथित तौर पर सिप्रोफ्लोक्सासिन हाइड्रोक्लोराइड की डम्पिंग की जांच शुरू कर दी है। आरती ड्रग्स ने डम्पिंग रोधी शुल्क लगाने के लिए पड़ोसी देश से हो रहे इस दवा के आयात की जांच का अनुरोध किया था। चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा लगभग 50 अरब डॉलर का है। डीजीटीआर ने अपनी अधिसूचना में कहा कि घरेलू उद्योग से प्रथम दृष्टया मिले प्रमाण के आधार पर चीन में बनने वाले या आयात के माध्यम से आने वाले उत्पाद की जांच शुरू कर दी गई है। डीजीटीआर जांच में कथित डम्पिंग, उसके स्तर और असर की जांच करेगा।
अगर जांच में डम्पिंग का घरेलू उद्योग पर असर साबित होता है तो निदेशालय शुल्क लगाने की सिफारिश करेगा। इस पर अंतिम फैसला वित्त मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। सिप्रोफ्लोक्सासिन हाइड्रोक्लोराइड को त्वचा, अस्थि और जोड़ संक्रमण, श्वसन या साइनस संक्रमण, मूत्र मार्ग संक्रमण और कुछ प्रकार के डायरिया सहित विभिन्न जीवाणु संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है।
15 महीने तक होगी जांच की अवधि इस जांच की अवधि अप्रैल, 2018 से जून, 2019 (15 महीने) तक होगी। इसमें 2015-18 तक की अवधि पर गौर किया जाएगा। विभिन्न देशों द्वारा सस्ते आयात से घरेलू उद्योग को होने वाले नुकसान के आकलन के लिए डम्पिंग रोधी जांच की जाती है। इससे बचाव के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक व्यवस्था के अंतर्गत शुल्क लगाया जाता है।