नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने एक जिला अदालत में कहा कि अधिकार क्षेत्र और अन्य कारणों से पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, बाबा रामदेव और अन्य के खिलाफ कोविड-19 के इलाज का दावा करके लोगों को धोखा देने के आरोप में एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती। वसंत विहार थाने के एसएचओ ने अदालत में दायर एक याचिका की प्रतिक्रिया में अपनी रिपोर्ट में यह बात कही। याचिकाकर्ता तुषार आनंद ने दावा किया था कि रामदेव और अन्य व्यक्तियों को केवल एक इम्युनिटी बूस्टर (रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवा) बनाने की अनुमति थी, लेकिन वे मीडिया में गलत दावा कर रहे हैं कि उन्हें कोविड-19 का इलाज मिल गया है। रिपोर्ट में सब-इंस्पेक्टर पंकज कुमार ने कहा कि जैसा कि बाबा रामदेव द्वारा उत्तराखंड के हरिद्वार में कथित संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया गया था, वह वसंत विहार पुलिस स्टेशन, नई दिल्ली के क्षेत्र या क्षेत्राधिकार के तहत नहीं आता। इस कारण वसंत विहार पुलिस थाने द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती।
रिपोर्ट में कहा गया कि यहां यह बताना भी उचित है कि आयुष मंत्रालय ने एक इम्युनिटी बूस्टर के रूप में पतंजलि के कोरोनिल की बिक्री की अनुमति दी है न कि कोरोनोवायरस के इलाज के रूप में। यदि आयुष मंत्रालय के दिशानिर्देशों के उल्लंघन के आरोप हैं, तो शिकायतकर्ता संबंधित एजेंसी संपर्क कर सकता है। गौरतलब है कि 23 जून को पतंजलि आयुर्वेद ने ‘कोरोनिल’ टैबलेट और श्वासारि वटी दवा लॉन्च की, जिसमें दावा किया गया कि ये कोविड-19 को सात दिनों के भीतर ठीक कर सकती हैं। आयुष मंत्रालय ने पतंजलि को कोरोनिल इम्युनिटी बूस्टर के रूप में बेचने की अनुमति दी न कि कोरोनावायरस के इलाज के रूप में।