पटना। एशिया के सबसे बड़े दवा बाजार के रूप में पहचान रखने वाले स्थानीय गोविंद मित्रा रोड पर एक साधारण दवा नारकोटिक का नहीं मिल पाना हैरत में डालता है। इसका पता तब चला जब पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में इमरजेंसी में भर्ती एक मरीज के लिए चिकित्सक ने फोर्टविन एवं फेलार्गन नामक दवा प्रिस्क्राइब की। पटना के अधिकतर दवा दुकानों पर यह जीवनदायिनी दवा अनुपलब्ध होने की बात कही गई। कैमिस्ट का कहना था कि यह दवा सस्ती होने से हमें उचित मुनाफा नहीं मिल पाता है। इसी कारण क्रय-विक्रय नहीं करते हैं। फार्मासिस्ट कृष्णकांत भारद्वाज ने बताया कि नारकोटिक दवा केवल प्रिस्क्रिप्शन पर ही दी जाती है। राज्य में शराबबंदी के बाद इसकी मांग काफी बढ़ गई है। इससे दवा का अवैध कारोबार भी पनपने लगा है। उन्होंने सरकार से अपील की कि जीवनदायिनी नारकोटिक एवं अन्य जरूरी दवाओं को फार्मासिस्ट की उपस्थिति में ही बेचा जाना जाहिए।
ड्रग एनालिस्ट रजतराज ने कहा कि नारकोटिक जीवन देने वाली दवाएं हैं। यदि इन साधारण दवाओं की भी दवा बाजार में किल्लत है तो औषधि निरीक्षक और स्वास्थ्य मंत्री को इस पर सख्त एक्शन लेना चाहिए। बता दें कि बिहार में शराब बंदी के बाद से नशीली दवाओं की भारी खपत होने लगी है। नारकोटिक दवाओं को लोग नशे के रूप में इस्तेमाल करने लगे हैं। लालच के चलते कुछ दवा विक्रेता इस पवित्र पेशे को बदनाम कर रहे हैं, जिस कारण मरीजों के बजाय नशेड़ी लोगों यह दवा आसानी से उपलब्ध हो रही है। इन दवाओं की चिकित्सा में खास जरूरत होती है। नशे के रूप में बढ़ती डिमांड के चलते मरीजों से ये दवाएं दूर हो रही हैं, जो बेहद चिंता का विषय है।