पटना। देश में पहली बार जानवरों पर आयुर्वेदिक दवाओं का प्रयोग किया जाएगा। ऐसा पटना में होगा। जानलेवा बीमारियों की औषधि राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में तैयार की जाएगी और इसका जानवरों पर प्रयोग बिहार एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी द्वारा किया जाएगा। देश में ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब MOU प्रोटोकॉल के साथ इंसानों की आयुर्वेदिक दवाओं का जानवरों पर प्रयोग कर इसका असर जांचा जाएगा। फिर इंसानों पर इस दवा का प्रयोग होगा।

आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर दिनेश्वर प्रसाद का कहना है कि जानवरों के दूध में दवा के असर की बात आती है। हम इस पर भी शोध करेंगे कि किस तरह से जानवरों को दी जाने वाली दवाओं का असर यानी साइड इफेक्ट दूध में आने से रोका जा सके। इस दिशा में भी काम किया जाएगा। MOU में इस पर भी चर्चा हुई है। डॉ. दिनेश्वर प्रसाद का कहना है कि MOU साइन हो गया है। अब खतरनाक बीमारियों पर शोधकर दवा का निर्माण करना आसान हो जाएगा।

एनिमल ट्रायल के लिए बिहार एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी से करार हो गया है। एलोपैथ में ऐसा होता है लेकिन आयुर्वेद में नहीं है। इसके लिए अभी तक कोई प्रोटोकॉल नहीं बना था। ऐसा पहली बार हो रहा है जब प्रोटोकॉल बनाकर दवाओं का प्रयोग जानवरों पर किया जाएगा। दोनों तरफ से डिस्कशन कर यह काम होगा। इसमें दोतरफा संवाद से काम आसान होगा। एक दूसरे की थेसिस पर एक दूसरे के कोगाइड होंगे। दोनों मिलकर रिसर्च करेंगे।

आयुर्वेदिक कॉलेज का कहना है कि प्रयोग नहीं हो पाने के कारण ही औषधि का निर्माण नहीं हो पा रहा था। इस दिशा में काफी दिनों से प्रयास किया जा रहा था। काफी प्रयास के बाद अब MOU साइन हुआ है जिससे दो संस्थान मिलकर शाेध और प्रयोग करेंगे। यह प्रदेश के लिए ही नहीं पूरे देश के लिए बड़ी बात होगी। राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ. दिनेश्वर प्रसाद का कहना है कि ऐसा देश में पहली बार होने जा रहा है।

जब प्रोटोकॉल के तहत दवाओं का प्रयोग जानवरों पर होगा। डॉ. दिनेश्वर प्रसाद का कहना है कि देश में आज भी जड़ी बूटी से जानवरों का इलाज हो रहा है। कई गंभीर बीमारियां भी पशुपालक जड़ी बूटी से ठीक कर रहे हैं। जानवरों पर इसका बड़ा असर देखने को मिला है लेकिन इसका कोई क्लीनिकल डेटा नहीं है। अब ऐसे में दवाएं आयुर्वेदिक कॉलेज में बनेगी और दोनों संस्थानों की तरफ से प्रयोग किया जाएगा।