अहमदाबाद। देसी दवा उद्योग में बीते साल सबसे कम ब्रांड पेश हुए। 2016 में 10.6 फीसदी वाले इस क्षेत्र की रफ्तार घटकर 5.5 फीसदी रह गई है। भारतीय दवा बाजार में फार्मा के करीब 3,932 ब्रांड पेश हुए और सबसे ज्यादा त्वचा संबंधी बीमारियों के इलाज वाले 386 ब्रांड पेश किए गए। इसके पीछे फर्मों का ओवर द काउंटर यानी ओटीसी पर ध्यान केंद्रित किया जाना माना जा रहा है। साल 2016 में देसी बाजार में 4,516 ब्रांड पेश हुए थे जबकि साल 2013 में 3,751 ब्रांड।
देसी दवा उद्योग की बढ़त की रफ्तार आठ साल में निचले स्तर पर रही क्योंकि कारोबार पर जीएसटी का असर पड़ा और राष्ट्रीय दवा कीमत प्राधिकरण (एनपीपीए) की तरफ से उत्पादों की मंजूरी में देरी भी इसके लिए जिम्मेदार रही। भारत की बड़ी दवा कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस (आईपीए) के महासचिव डीजी शाह ने कहा कि नई पहल का बाजार की बढ़त में करीब दो तिहाई योगदान होता है। इस साल नई पहल काफी कम रही क्योंकि एनपीपीए की तरफ से मंजूरी नहीं मिल रही थी। उनके पास करीब 200 आवेदन लंबित थे। मार्केट रिसर्च फर्म एआईओसीडी एडब्ल्यूएसीएस के आंकड़ों के अनुसार ब्रांड पेशकश के लिहाज से त्वचा क्षेत्र, संक्रमणरोधी, हृदय रोग क्षेत्र आदि अग्रणी रहा।
साल 2017 में वैक्सीन (18.2 फीसदी), त्वचा रोग के इलाज का क्षेत्र (12.3 फीसदी), मधुमेहरोधी (14 फीसदी) आदि सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाले क्षेत्रों में शामिल रहा। करीब पांच साल से मधुमेह के इलाज का क्षेत्र अग्रणी रहा है और यह लगातार दो अंकों में बढ़त दर्ज कर रहा है। साल 2013 में यह 23.8 फीसदी के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था। चूंकि दवा कंपनियां ओटीसी दवाओं पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं, लिहाजा त्वचा क्षेत्र, विटामिन, दर्द की दवा, एलर्जी आदि वैसे प्रमुख क्षेत्र हैं जहां सबसे ज्यादा दवा पेश की गई। निकोलस हॉल 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय ओटीसी बाजार साल 2016 तक 9 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि के हिसाब से आगे बढऩे की संभावना है और यह 6.5 अरब डॉलर के पार निकल जाएगा।
हाल में देश की दूसरी सबसे बड़ी दवा कंपनी ल्यूपिन ने ओटीसी में प्रवेश किया, जब इसने 34 साल पुराने ब्रांड सॉफ्टवेक को ओटीसी उत्पाद के तौर पर पेश किया। नवंबर में अहमदाबाद की टॉरेंट फार्मा ने यूनिकेम लैब का भारतीय कारोबार खरीद लिया, जिसके पास यूनियनजाइम जैसा मशहूर ओटीसी ब्रांड है। पीरामल एंटरप्राइजेज के नंदिनी पीरामल की अगुआई वाले कंज्यूमर प्रॉडक्ट डिविजन ने भी श्रेया लाइफसाइंसेज से हाल में डिजिप्लेक्स का अधिग्रहण किया है। पीरामल की कंज्यूमर इकाई ने पिछले साल फाइजर से चार ओटीसी ब्रांड खरीदे थे। विश्लेषकों ने कहा कि ओटीसी क्षेत्र पर ध्यान इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि डॉक्टरों की पर्ची के जरिए बिकने वाली दवाओं की बिक्री की रफ्तार कम हो गई है।