सुपौल। स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ऑक्सीटॉसिन पर सरकार ने पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है। बावजूद जिले में प्रतिबंधित ऑक्सीटॉसिन चोरी-छिपे बिक रही है। इसका उपयोग मुख्य रूप से पशुपालक और किसान कर रहे हैं, जो ना सिर्फ पशुओं के लिए खतरनाक है, बल्कि इस इंजेक्शन के माध्यम से पशुओं से निकाले गए दूध स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है।
पशु चिकित्सक डॉ अरुण कुमार के अनुसार पशुओं में ऑक्सीटॉसिन प्रयोग किए जाने से उनके संवर्धन और स्वास्थ्य दोनों पर संकट खड़ा करता है। पशुओं में बढ़ता बांझपन इसके दुष्प्रभाव के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। बावजूद इसके प्रतिबंधित इंजेक्शन के इस्तेमाल से पशुपालक बाज नहीं आ रहे हैं। पशुपालकों द्वारा गाय, भैंस का दूध उतारने के लिए इस इंजेक्शन का इस्तेमाल करते हैं जो पशुओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। इतना ही नहीं इस दवा के उपयोग किए जाने से पशुओं के स्तन में संकुचन बढ़ने से उन में थनैला रोग की संभावना प्रबल हो जाती है। इसके अलावा दवा के लगातार इस्तेमाल से पशुओं के गर्भ में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। जिससे गर्भ में पलने वाले बच्चे में रक्त की अल्पता आ जाती है। इस दवा के प्रयोग से वस्तुओं की अवसर भी घट जाती है और पशु कई तरह के रोगों के बन जाता है। उन्होंने बताया ऑक्सीटॉसिन से निकाला गया दूध की शुद्धता प्रभावित होती है। खासकर इस तरह से निकाले गए दूध मानव के लिए भी खतरनाक होता है।
अनुमंडल पशु चिकित्सालय में पदस्थापित सहायक कुरकुट पदाधिकारी डॉ अजय कुमार के अनुसार ऑक्सीटॉसिन स्तनधारी जीवों में हारमोंस के रूप में पाया जाता है। पशुओं के प्रसव के दौरान उनके गर्भाशय से ऑक्सीटॉसिन स्त्राव होता है। जिससे प्रसव आसानी से हो जाता है। यह ऑक्सीटॉसिन पशुओं में स्वत: बनता है परंतु दूध की अधिकता में जब पशुपालक इसे इंजेक्शन के रूप में पशुओं पर व्यवहार करता है तो दूध शुद्ध नहीं रह पाता है और इसका गलत प्रभाव पशुओं के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।