पटना। बिहार देश में नकली दवा की राजधानी बन चुका है। ये हम नहीं बल्कि पिछले आकंड़े बताते है। जिस तरीके से प्रदेश में नकली दवा का कारोबार चल रहा है, उसने सभी को हैरान कर दिया है। पटना में करोड़ों के नकली दवाओं का कोराबर चल रहा है। पिछले साल ही पटना में 15 करोड़ के नकली दवाओं का भंड़ाफोड़ हुआ था। नकली दवा बनाने वाली कंपनी धड़ल्ले से दवा बना रही है और लोगों की जान से खिलवाड़ कर रही है।

पिछले दिनों मछुआ टोली स्थित नकली दवा बनाने वाले एक बड़े रैकेट के भंडाफोड़ से हुआ है। ऐसे ही पिछले साल पटना में दर्जनों नकली दवा बनाने वाली कंपनियों का भंडाफोड़ हुआ था। इसकी जांच में पता चला था कि यहां बनाई जा रही नकली दवाओं की स्पालई बिहार सहित कई राज्यों में भी की जाती है। इन ठिकानों पर नकली दवा बनाने और एक्सपायरर्ड दवाइयों की री- पैकिंग करने का भी भंडाफोड़ हुआ था। अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बिहार में क्यों इतनी बड़ी मात्रा में नकली दवा का कारोबार चल रहा है, जो रूकने का नाम नहीं ले रहा है बल्कि लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

जानकार बताते हैं कि असली और नकली दवाओं में फर्क करने का कोई सपष्ट तरीका नहीं है। दवा के असली और नकली होने की पहचान लेबेरोटरी में ही की जा सकती है। नकली दवा बनाने वाली कंपनियां दवा की सैमपलिंग इस तरह से करती है जिससे कोई आम आदमी आसानी से इसे पकड़ ही नहीं सकता है।