इंदौर। मुसीबत में लोग अवसर खोज ले रहे हैं। मध्य प्रदेश में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचे जाने का मामला सामने आया है। ये शख्स दवा व्यापारी है और पुलिस ने इसके पास से इस दवा की लेबल लगी 400 शीशियाँ भी बरामद की हैं। इंदौर से इस व्यापारी को हिरासत में लिया गया है। पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) मनीष कपूरिया ने बताया कि रेमडेसिविर की कालाबाजारी को लेकर मुखबिर से मिली सूचना पर हिरासत में लिए गए व्यक्ति की पहचान विनय त्रिवेदी के रूप में हुई है। डीआईजी ने बताया कि इस व्यक्ति के कब्जे से 16 पैकेट मिले जिनमें से प्रत्येक में संदिग्ध दवा की 25 शीशियां थीं। इन शीशियों पर रेमडेसिविर का लेबल लगा था। उन्होंने बताया कि शुरुआती पूछताछ में त्रिवेदी ने दावा किया कि वह हिमाचल प्रदेश के किसी संयंत्र से संदिग्ध दवा लाया है। लेकिन वह इस बारे में कोई दस्तावेज पेश नहीं कर सका।
उन्होंने बताया, “हम त्रिवेदी के कब्जे से मिली संदिग्ध दवा के नमूने की प्रयोगशाला में जांच कराएंगे। लेकिन एक औषधि निरीक्षक ने पहली नजर में इसके रेमडेसिविर होने पर संदेह जताया है। डीआईजी ने बताया कि त्रिवेदी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जा रहा है। मामले की विस्तृत जांच कर पता लगाया जाएगा कि वह संदिग्ध रेमडेसिविर की खेप कहां से लाया था और क्या उसने इसे स्थानीय स्तर पर बेचा है? इस बीच, पुलिस की अपराध निरोधक शाखा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) गुरुप्रसाद पाराशर ने बताया कि त्रिवेदी दवा कारोबार से जुड़ा है और नजदीकी पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में उसकी दवा इकाई होने के बारे में भी जानकारी मिली है। उन्होंने बताया कि इस जानकारी की पुष्टि की जा रही है। गौरतलब है कि संदिग्ध रेमडेसिविर की 400 शीशियों के साथ त्रिवेदी को उस वक्त पकड़ा गया, जब राज्य भर में इस दवा की भारी किल्लत है और मरीजों के परिजन इसकी कालाबाजारी की शिकायतें भी कर रहे हैं।