नई दिल्ली: जिस वक्त पूरे देश में अघोषित इमरजेंसी, असहिष्णुता, लोकतंत्र का घला घोंटने जैसी धारणाएं सिर उठा रही हों, उस वक्त में किसी यूनियन के दबाव में सरकार अपना लागू किया फैसला रद्द कर दे तो यह न केवल मजबूत प्रजातंत्र का उदाहरण साबित होगा बल्कि सरकार की उदारवादी छवि को भी प्रचारित करेगा। वाकया केंद्र सरकार के अधीन आने वाले सफदरजंग अस्पताल से जुड़ा है। यहां बने नए इमरजेंसी ब्लॉक एवं सुपरस्पेशिएलिटी ब्लॉक के लिए 1400 नर्सों की आउटसोर्स भर्ती का टेंडर निकला था। ऑल इंडिया गवर्नमेंट नर्सेज फेडरेशन (एआईजीएनएफ) समेत देश की तमाम नर्सिंग एसोसिएशनों ने इसकी कड़ी आलोचना की, क्योंकि केंद्रीय मंत्री जगतप्रकाश नड्डा के नेतृत्व वाले स्वास्थ्य विभाग ने 14 जनवरी 2015 और 4 अगस्त 2016 को एआईजीएनएफ की महासचिव जी.के. खुराना को लिखित में भरोसा दिया था कि भविष्य में आउटसोर्स भर्ती नहीं होगी। लेकिन जैसे ही दोनों ब्लॉक को चालू करने का वक्त आया तो इसके लिए जरूरी 2764 पदों के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने आउटसोर्स भर्ती का टेंडर निकाल दिया। सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ए.के. राय ने इसकी पुष्टि की थी।
मंत्रालय की ओर से 1 मई, 2017 को चिकित्सा अधीक्षक, सफदरजंग अस्पताल को भेजे पत्र में साफ लिखा था कि इमरजेंसी ब्लॉक के लिए 1247 पद और सुपरस्पेशिएलिटी ब्लॉक के लिए 1517 पदों पर आउटसोर्स भर्ती की जाए। जिसका टेंडर आईडी नंबर 2017_VMMC_206646_1 था। जैसे ही यह बात बाहर निकली तो एआईजीएनएफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वास्थ्य मंत्रालय जेपी नड्डा को लिखित में वायदे के मुताबिक फैसला रद्द करने की जोरदार मांग की, साथ ही ऐसा नहीं करने पर आंदोलन की चेतावनी दे डाली।
इसके अलावा लगातार प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को ट्वीट और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से विरोध दर्ज कर दबाव बनाया। चूंकि पहले स्वास्थ्य मंत्रालय एआईजीएनएफ की एकता और आंदोलन देख चुका है, लिहाजा कोई जोखिम न उठाते हुए फैसला रद्द कर दिया। एआईजीएनफ की दिल्ली अध्यक्ष एवं सफदरजंग में बतौर सीनियर नर्सिंग ऑफिसर कार्यरत प्रेमरोज सूरी ने बताया कि मांग मान लिए जाने पर आंदोलन वापसी का फैसला लिया गया जिसकी जानकारी संबंधित मंत्रालय को दे दी गई है। उन्होंने कहा कि एक बार फिर नर्सिंग यूनियन की एकता से बड़ी जीत हासिल हुई, जो न केवल नर्सों के बल्कि मरीजों के लिए भी हितकारी साबित होगी। एक दिन पहले यानी 15 जून को भारत सरकार के पत्र क्रमांक 1-3 Admn.sec./EB/Nursing Staff/.2017 में प्रशासनिक कारणों का हवाला देते हुए नर्सिंग आउटसोर्स भर्ती का फैसला रद्द किया गया है।
मंत्रालय की ओर से 1 मई, 2017 को चिकित्सा अधीक्षक, सफदरजंग अस्पताल को भेजे पत्र में साफ लिखा था कि इमरजेंसी ब्लॉक के लिए 1247 पद और सुपरस्पेशिएलिटी ब्लॉक के लिए 1517 पदों पर आउटसोर्स भर्ती की जाए। जिसका टेंडर आईडी नंबर 2017_VMMC_206646_1 था। जैसे ही यह बात बाहर निकली तो एआईजीएनएफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वास्थ्य मंत्रालय जेपी नड्डा को लिखित में वायदे के मुताबिक फैसला रद्द करने की जोरदार मांग की, साथ ही ऐसा नहीं करने पर आंदोलन की चेतावनी दे डाली।
इसके अलावा लगातार प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को ट्वीट और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से विरोध दर्ज कर दबाव बनाया। चूंकि पहले स्वास्थ्य मंत्रालय एआईजीएनएफ की एकता और आंदोलन देख चुका है, लिहाजा कोई जोखिम न उठाते हुए फैसला रद्द कर दिया। एआईजीएनफ की दिल्ली अध्यक्ष एवं सफदरजंग में बतौर सीनियर नर्सिंग ऑफिसर कार्यरत प्रेमरोज सूरी ने बताया कि मांग मान लिए जाने पर आंदोलन वापसी का फैसला लिया गया जिसकी जानकारी संबंधित मंत्रालय को दे दी गई है। उन्होंने कहा कि एक बार फिर नर्सिंग यूनियन की एकता से बड़ी जीत हासिल हुई, जो न केवल नर्सों के बल्कि मरीजों के लिए भी हितकारी साबित होगी। एक दिन पहले यानी 15 जून को भारत सरकार के पत्र क्रमांक 1-3 Admn.sec./EB/Nursing Staff/.2017 में प्रशासनिक कारणों का हवाला देते हुए नर्सिंग आउटसोर्स भर्ती का फैसला रद्द किया गया है।