रायपुर। फार्मा कंपनी की आड़ में नशीली सिरप की तस्करी करने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी फार्मा कंपनी के संचालक राजेश अग्रवाल को देवेंद्रनगर स्थित मकान से पकड़ा गया। आरोपी की कंपनी गोदाम में कुछ माह पहले छापा मारकर करीब 1.74 करोड़ की प्रतिबंधित सिरप जब्त की गई थी। पुलिस ने भिलाई और अम्लेश्वर के दो मेडिकल संचालकों को भी गिरफ्तार किया है। दोनों रैकेट में शामिल हैं।
आरोपी इन दोनों मेडिकल में सप्लाई करने का बिल बनाता था। दोनों मेडिकल संचालक सिरप लिए बिना ही रिकार्ड में खरीदी बताते थे। उसके बाद मास्टर माइंड उसी सिरप को दोगुनी-तिगुनी कीमत पर ऐसे दुकानों को सप्लाई करता था, जो नशेडिय़ों को मुंहमांगी कीमत पर बेचते थे। लंबे समय से रैकेट चल रहा था। पुलिस ने पहली बार किसी फार्मा संचालक को पकड़ा है। अब तक पुलिस की कार्रवाई नशीली दवा खरीदने वाले या बेचने वाले तक ही सीमित रह जाती थी। कुछ माह पहले पुलिस ने नशीली सिरप की बड़ी खेप पकड़ी। आटो से उसे मेडिकल स्टोर्स पहुंचाया जा रहा था। उसके बाद जांच करने पर तिरुपति फार्मा के संचालक राजेश अग्रवाल का नाम सामने आया। पुलिस ने राजेश की तिरुपति फार्मा कंपनी और गोदाम में छापे मारे। जांच के दौरान पूरा फर्जीवाड़ा सामने आया। वह कुछ मेडिकल स्टोर में दवाई की सप्लाई का रिकार्ड दिखाता था लेकिन उन दुकानों में कभी दवाई सप्लाई ही नहीं की। रिकार्ड में बताया जाता था कि दवाएं मेडिकल स्टोर्स में सप्लाई की जा रही हैं, लेकिन नशीली सिरप का स्टॉक बस्तियों और कॉलोनियों की दुकानों में सप्लाई किया। राज्य के कई शहरों में भी दो नंबर पर वह नशीली सिरप भेजकर रैकेट चला रहा था। सीएसपी डीसी पटेल ने बताया कि देवेंद्र नगर के राजेश अग्रवाल तिरुपति फार्मा के नाम से टाटीबंध में कंपनी व गोदाम है। राजेश ने भिलाई के चौहान मेडिकल के मालिक अजय चौहान और अम्लेश्वर के बायोटेक मेडिकल के मालिक अतिशोर कुमार से सांठगांठ की और रिकार्ड में दिखाया कि वह इन दोनों मेडिकल को हर महीने 50-70 लाख की दवाई सप्लाई करता है। पुलिस अफसरों के अनुसार राजेश यह जरूर बताता था कि वह चौहान और बायोटेक मेडिकल में दवाई की सप्लाई करता है, लेकिन कभी वहां दवाई पहुंची ही नहीं। फर्जी बिलिंग के एवज में वह चौहान और बायोटेक मेडिकल के संचालकों को 15-15 हजार महीना देता था। उसके बाद वह अपनी मर्जी से ऐसे मेडिकल वालों को दवा बेचता था जो नंबर दो में यानी बिना पर्ची के ही अपनी दुकान से नशेडिय़ों दोगुनी-तिगुनी कीमत पर सिरप बेचते थे। इस रैकेट के जरिये हर महीने लाखों की दवाई बाजार में बेची जा रही थी। पुलिस की पड़ताल में पता चला है कि वह मुंबई और दिल्ली से एक एजेंट से नशीली सिरप और गोलियां मंगवाता था। नशीली दवाओं का स्टॉक बिना पर्ची बेचने वाली दुकानों तक पहुंचाने के लिए उसने ऑटो रखा था। उसी में माल लोड कर बस्तियों तक पहुंचाया जाता था। कुछ ट्रांसपोर्टरों से उसकी सांठगांठ है, जिसमें दवाई लोड करके वह दूसरे शहरों में भेजता था। पुलिस उनका भी पता लगवा रही है। पुलिस को पड़ताल में दिल्ली एक बड़े एजेंट का क्लू मिला है, जो राजेश अग्रवाल से जुड़ा हुआ है। पुलिस उसकी तलाश में जुटी है।