हिसार। शहर के नागरिक अस्पताल पर खतरा मंडरा रहा है क्योंकि पिछले एक से डेढ़ साल के अंतराल में कई नाखुश चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी नौकरी छोड़ चुके हैं। कुछ चिकित्सकों ने वीआरएस ली है तो कुछ ने त्यागपत्र दिया है। कोरोना काल में चिकित्सकों की कमी से स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ सकती है।

अस्पताल के प्रसूति विभाग की दो महिला चिकित्सक हाल ही में नौकरी छोड़ रही हैं। एक जा चुकी है, एक ने अस्पताल प्रबंधन को नोटिस थमा दिया है। ऐसे में विभाग की पूरी जिम्मेदारी एक महिला चिकित्सक पर आ गई है। रोजाना यहां 100 से ज्यादा ओपीडी और करीब 15 डिलीवरी केस आते हैं। दोनों चिकित्सक निजी अस्पताल में सेवाएं देंगी। कुछ चिकित्सकों ने बताया कि स्पेशलिस्ट चिकित्सकों से भी आपातकालीन वार्ड, सरकारी कार्यक्रम, रैली या अन्य कोई प्रोग्राम, कैंप, जेल एवं पोस्टमार्टम हाउस में ड्यूटी लगा दी जाती है। कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. तेजपाल शर्मा को डिप्टी सीएमओ एवं पैथोलॉजिस्ट डॉ. मनीष पचार को आयुष्मान भारत योजना में लगाया गया।

जिला अस्पताल में चिकित्सकों के कुल 55 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 38 पदों पर चिकित्सक तैनात हैं और 18 पद खाली पड़े हैं। यह स्थिति पिछले काफी समय से बनी हुई है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस महामारी के दौर में अस्पताल में 60 या 65 चिकित्सक होना भी कम हैं। हर जगह पर चिकित्सकों की जरूरत पड़ती है। चाहे वह आइसोलेशन वार्ड, केयर सेंटर हो या टीकाकरण केंद्र।

कोरोना काल में कुछ नए चिकित्सकों ने अस्पताल में नौकरी ज्वाइन की। इनमें माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट डॉ. खुशबू, फिजिशियन डॉ. अजय चुघ, ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. रेनू यादव, डॉ. नवनीत शर्मा, डॉ. रोजश, डॉ. पूजा शामिल है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग को 12 नए फार्मेसी ऑफिसर मिले, जिनमें से दो की जिला अस्पताल में तैनाती हुई है। दूसरी लहर के चलते 90 के आसपास नए फार्मेसी ऑफिसर को ज्वाइनिंग दी गई थी।

प्रसूति विभाग के दो महिला चिकित्सकों के नौकरी छोड़ने से नागरिक अस्पताल में दूरबीन से बच्चेदानी के ऑपरेशन की सुविधा बंद या पहले की तुलना में प्रभावित हो सकती है। यह सुविधा इस साल के मार्च माह में ही अस्पताल में शुरू हुई थी। हालांकि, इसके लिए अस्पताल में करीब 25 लाख की मशीनरी एवं उपकरण का एक सेटअप आया हुआ है।

पीएमओ डॉ. गोविंद गुप्ता ने कहा कि हर किसी के अपने पर्सनल कारण होते हैं। प्रभूति विभाग में नए चिकित्सक आने वाले हैं। कुछ चिकित्सकों का तबादला हो गया और कुछ ने वीआरएस ले ली। इस समय चिकित्सकों की कमी तो है, फिर भी हम मरीजों की सहूलियत के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।