पटना। इस समय मौसमी बीमारी के साथ -साथ ब्लैक फंगस कहर अभी नहीं जारी है। एक तरफ इन बीमारियों की लोग मार झेल रहे है तो वहीँ दूसरी तरफ अस्पतालों में दवा की कमी भी देखने को मिल रही है। बता दें कि बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की ढीली व्यवस्था मरीजों पर भारी पड़ रही है। संस्थान ब्लैक फंगस के गंभीर रोगियों को भी दवा नहीं उपलब्ध करा पा रहा है। दवाई की कमी मरीजों के जान पर भारी पड़ रही है।
दरभंगा के कुशेश्वर स्थान के रहने वाले 50 साल के त्रिवेणी साहू PMCH में 8 सितंबर से भर्ती हैं। उन्हें पिछले 6 दिनों से अम्फोटेरिसिन-बी की वैक्सीन नहीं लगी है जिससे उनकी हालत खराब हो रही है। प्रशासन का कहना है कि दवा की डिमांड भेजी गई है। त्रिवेणी साह के पुत्र नागेंद्र का कहना है कि वह काफी परेशान हो गया है। पहले कोरोना हुआ, फिर आवाज चली गई और अब ब्लैक फंगस हो गया है। नागेंद्र का कहना है कि इलाज में बाधा आ रही है। उनके पिता कोरोना के साइड इफेक्ट से मई से ही परेशान हैं। काफी जांच पड़ताल के बाद ब्लैक फंगस का पता चला लेकिन अब दवा ही नहीं है। समय से दवा नहीं मिली तो खतरा हो सकता है लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
मरीज के बेटे ने बताया कि 18 मई को डॉक्टर से दिखाने पर पता चला था कि पहले कोरोना हुआ था। इसके बाद से ही दवा चल रही थी और आराम भी मिल रहा था। इस बीच 9 जून को अचानक से आवाज चली गई। दरभंगा मेडिकल कॉलेज से लेकर कई अस्पतालों में इलाज कराया गया लेकिन आवाज पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाई। इस बीच कफ से खून भी आने लगा। कफ से खून आने के बाद बेहतर इलाज के लिए पटना आए। पटना के IGIMS में जांच पड़ताल हुई, जिसमें बताया गया कि फेफड़े में ब्लैक फंगस है।
मरीज के बेटे का कहना है कि पिता 6 दिन पहले एडमिट हुए थे, लेकिन चेस्ट के डॉक्टर अभी तक देखने नहीं आए हैं। अस्पताल से बताया जा रहा है कि अम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन के लिए डिमांड किया गया है लेकिन अभी मिल नहीं पा रही है। डॉक्टर भी इलाज में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। त्रिवेणी साह के फेफड़े में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है।