सिरसा। शहर के परशुराम चौक स्थित एक निजी अस्पताल के चिकित्सक पर मरीज के ऑपरेशन में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए परिजनों ने अस्पताल में हंगामा कर दिया। गांव मल्लेकां से आए परिजनों ने मरीज के इलाज के दौरान आने वाला खर्च चिकित्सक द्वारा उठाने की शर्त रखी। हालांकि तीन घंटे तक चली बैठक बेनतीजा रही और चिकित्सक ने खर्च उठाने से मना कर दिया।

इसके बाद परिजनों ने अस्पताल के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। पीड़ित परिवार के साथ किसान नेता भूपेंद्र सिंह वैदवाला, लखविंद्र सिंह ओलख, गूरी, राजू, विरेंद्र भी मौके पर पहुंचे। स्थिति तनावपूर्ण होने पर देर रात तक पुलिस मौके पर रही और दोनों पक्षों के बीच समझौते का प्रयास होता रहा। वहीं अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गई।

गांव मल्लेकां निवासी सुनील कुमार ने बताया कि बीती पांच जुलाई को अपने पिता इकबाल सिंह (50 वर्षीय) का पथरी होने पर निजी अस्पताल में ऑपरेशन करवाया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि चिकित्सक ने ऑपरेशन करने के दौरान लापरवाही बरती और नलिका काट दी। पिता के ठीक न होने पर जब वह 11 जुलाई को दोबारा से चिकित्सक के पास पहुंचे तो जांच कर नस में स्टंट डलवाने की बात कही और दोबारा से दूरबीन से ऑपरेशन कर दिया। इसके बाद भी उसके पिता ठीक नहीं हुए। 16 जुलाई को पिता के शरीर में इंफेक्शन फैलना शुरू हो गया तो वह दोबारा से तीसरी बार चिकित्सक के पास जांच करवाने के लिए पहुंचे।

अस्पताल में दो दिन तक पिता को भर्ती रखा। 18 जुलाई को रात को बिना बताए ही चिकित्सक ने उसके पिता की हालत खराब होने का कह उन्हें दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया। जब वह अगले दिन सुबह अस्पताल में पहुंचे तो चिकित्सक ने संतुष्टिजनक जवाब नहीं दिया। दूसरे अस्पताल में भी पिता की हालत गंभीर होने की बात कह उन्हें बठिंडा के अस्पताल में रेफर कर दिया। 18 जुलाई से उनके पिता बठिंडा के निजी अस्पताल में आईसीयू में भर्ती है। चिकित्सक द्वारा गलत ढंग से ऑपरेशन करने के कारण उनके पिता की स्थिति गंभीर बनी हुई है।

वहीं सुनील कुमार ने बताया कि सिरसा में ऑपरेशन के दौरान चिकित्सक ने सात लाख रुपये इलाज के ले लिए हैं। बठिंडा में इलाज के दौरान उनके पिता अब तक आईसीयू में भर्ती है। इलाज पर अब तक 12 लाख खर्च हो चुके है, जबकि उनके पिता का इलाज अभी और चलना है। इसके कारण उन्हें आर्थिक के साथ मानसिक परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा है। पिता के इलाज के दौरान उन्होंने अपना घर भी गिरवी रखा हुआ है।

ग्रामीणों के अस्पताल में पहुंचने की सूचना मिलने के बाद शहर थाना प्रभारी ईश्वर सिंह मौके पर पहुंचे और मामले की जानकारी ली। इसके बाद परिजनों से बातचीत की गई और चिकित्सक के साथ बैठक हुई। चिकित्सक से तीन घंटे तक चली बैठक में कोई हल नहीं निकला तो पीड़ित के परिजन अस्पताल के बाहर दरी बिछाकर धरने पर बैठ गए और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।

पीड़ित परिवार ने डॉक्टर के समक्ष उनके पिता के इलाज का खर्च उठाने की शर्त रखी, लेकिन डॉक्टर ने खर्च उठाने से मना कर दिया। इसके बाद आक्रोशित लोगों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। अस्पताल संचालक रोहित मेहता ने बताया कि इलाज के दौरान किसी तरह की लापरवाही नहीं हुई। ऑपरेशन करने के बाद मरीज घर भी चला गया था। बाद में उसको परेशानी आई तो उसे दूसरे अस्पताल में रेफर किया गया था। समाधान को लेकर परिजनों से बातचीत चल रही है। हालांकि पीड़ित परिवार की ओर से अभी तक पुलिस को भी मामले की शिकायत नहीं दी गई है। थाना प्रभारी ईश्वर सिंह ने कहा कि पीड़ित परिवार की ओर से अब तक पुलिस को शिकायत नहीं दी गई है। शिकायत देने के बाद ही पुलिस की ओर से कार्रवाई की जाएगी। पीड़ित परिवार से मिल चुके है।

बता दें शहर के बड़े निजी अस्पतालों में पहले भी लापरवाही बरतने के मामले सामने आ चुके हैं। निजी अस्पताल के डॉक्टर मरीजों से मनमाना इलाज का खर्च वसूल रहे हैं। कोरोना काल के दौरान भी एक निजी अस्पताल की ओर से 60 हजार का बिल मरीज को थमा दिया गया था। उसके बाद लोगों ने रोष प्रदर्शन कर मामले की शिकायत उच्चाधिकारियों को दी थी। उस मामले में भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।