हिसार। हिसार के सोनी बर्न अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 5 कोरोना मरीजोंं की मौत के मामले में एग्जीक्यूूटिव मजिस्ट्रेट ने जांच में अस्पताल संचालक को दोषी करार दिया है। जब मरीज बाइपेप व वेंटिलेटर पर दम तोड़ रहे थे, तब उनकी संभाल के लिए न तो एनेस्थेटिस्ट था और न ही अन्य कोई स्पेशलिस्ट। इसके अलावा ऑक्सीजन बैकअप तक नहीं था।

एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए डीसी डॉ. प्रियंका सोनी ने सिविल सर्जन को अस्पताल संचालक पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मानवाधिकार आयोग को भी जांच रिपोर्ट भेजी है। सूत्रों की मानें तो मेडिकल नेग्लिजेंसी बोर्ड ने भी जांच पूरी करके डीसी को रिपोर्ट भेजी थी।

दरअसल, 26 अप्रैल को सोनी बर्न अस्पताल में दाखिल हिसार के 3, पंजाब व दिल्ली के 1-1 मरीज ने ऑक्सीजन की कमी के चलते दम तोड़ दिया था। देर रात ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने के दौरान रेड अलर्ट की स्थिति पैदा हुई थी। सोनी बर्न अस्पताल समेत कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से पैनिक का माहौल बना था। डीसीएचएस वॉट्सएप ग्रुप में ऑक्सीजन की कमी के मैसेज पोस्ट हुए थे। 4 बजे सीएमओ डॉ. रतना भारती ने प्लांट पर जाकर ऑक्सीजन सप्लाई शुरू कराई, पर तब तक काफी देर हो चुकी थी।

हिसार डीसी डॉ. प्रियंंका सोनी ने कहा कि एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की जांच व मेडिकल नेग्लिजेंसी बोर्ड की जांच पूरी हो चुकी है। पांच रोगियों की मौत अस्पताल संचालक की लापरवाही से हुई थी। इन दोनों जांच रिपोर्ट के आधार पर सिविल सर्जन को अस्पताल संचालक के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

आईएमए के जिला प्रधान डॉ. जेपीएस नलवा ने कहा कि डीसीएचएच के चैट ग्रुप में घटना की रात लगातार अस्पताल संचालकों ने ऑक्सीजन की कमी होने के रेड अलर्ट मैसेज भेजे थे। ऑक्सीजन की कमी से अगर हादसा हुआ है तो क्या हुआ? इसकी प्रशासनिक जांच होनी चाहिए।