उत्तराखंड। निजी अस्पताल मरीजों को अपने मेडिकल स्टोर से दवाई खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। यदि किसी ने ऐसा किया तो उस अस्पताल के दवा स्टोर का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। राज्य के ड्रग कंट्रोलर ने सभी अस्पतालों को इस संदर्भ में निर्देश जारी कर दिए हैं। प्राइवेट अस्पताल आमतौर पर मरीजों को दवाई खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। कई बार प्राइवेट डॉक्टरों की दवाई बाहर नहीं मिलती। जबकि कई बार डॉक्टर या अस्पताल प्रबंधक बाहर से दवाई खरीदने को खुद मना करते हैं। इस तरह की शिकायत मिलने पर सरकार ने प्राइवेट अस्पताल या स्टोर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्णय लिया है।
स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने इस संदर्भ में औषधि विभाग को गाइड लाइन तैयार कर अस्पतालों को दिशा निर्देश जारी करने को कहा था। इसके बाद अब औषधि विभाग की ओर से राज्य के सभी प्राइवेट अस्पतालों और मेडिकल स्टोरों को निर्देश जारी किए गए हैं। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मरीजों की शिकायत मिलने पर औषधि निरीक्षक ऐसे मामलों की जांच करेंगे और फिर स्टोर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिसमें दवा बिक्री लाइसेंस रद्द करना भी शामिल है।
बुधवार को इस संदर्भ में राज्य के सभी औषधि निरीक्षकों को भी निर्देश दिए गए हैं। औषधि नियंत्रक ताजबर जग्गी ने बताया कि प्राइवेट अस्पताल मरीजों को अपने स्टोर से ही दवाई खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। इस संदर्भ में दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। औषधि निरीक्षकों को ऐसे मामलों में लाइसेंस निरस्त करने के निर्देश दिए हैं। मरीजों का उत्पीडऩ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।