गाजियाबाद। आयुर्वेद एवं यूनानी दवाओं के सैंपल की जांच अब जिले की निजी लैब में भी करवाई जा सकेगी। आयुष विभाग ने इसकी अनुमति देने के साथ ही बजट भी जारी कर दिया है। जिले में दो प्राइवेट लैब जांच के लिए अधिकृत हैं। जिले में ही जांच होने पर इनकी रिपोर्ट जल्दी और समय से प्राप्त हो सकेगी।
दरअसल, आयुष विभाग को आयुर्वेद और यूनानी दवाएं बनाने वाली फर्मों की जांच के दौरान काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। विभाग फर्म से सैंपल लेकर जांच के लिए लखनऊ भेजता है। लखनऊ से जांच रिपोर्ट आने में समय लग जाता है और रिपोर्ट आने तक सभी कार्रवाई रुक जाती है। इससे विभाग के साथ फर्म संचालकों को भी परेशानी होती थी। अब नई व्यवस्था के तहत सैंपल की जांच लखनऊ भेजने के साथ ही प्राइवेट लैब में भी कराई जा सकेगी। औसतन विभाग की ओर से एक माह में 8 से 10 सैंपल जांच के लिए भेजे जाते हैं।
जिले में छोटी-बड़ी करीब 900 फर्म और आयुर्वेद दवाइयां बनाने की फैक्ट्रियां संचालित हैं। कई बार निरीक्षण के दौरान समय पर जांच न होने से परेशानी होती है। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. अशोक राना ने बताया कि आयुष विभाग की ओर से जांच के लिए 3.55 लाख रुपए का बजट जारी किया गया है। आयुष विभाग के सचिव मुकेश मेश्राम ने दवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए यह निर्णय लिया है। कार्यालय को मिले बजट से अब प्राइवेट लैब में भी सैंपल की जांच कराई जा सकेगी।