मध्यप्रदेश : प्रदेश के कस्बा मुरैना में कई मेडिकल स्टोर का संचालन नियमों को ताक पर रख कर किया जा रहा है. इन मेडिकल स्टोर की न कभी जांच की जाती है, नहीं ही कोई कार्रवाई होती है.
आलम यह है कि यहां ज्यादातर पर फुटकर में दवाएं बेचने तक का लाइसेंस नहीं हैं. थोक के लाइसेंसों के आधार पर यहां फुटकर (खेरीज) दवाएं विक्रय करने का काम किया जाता है.
बता दें कि कस्बे में संचालित कुछ मेडिकलों को छोड़कर ज्यादातर थोक लाइसेंस पर संचालित किए जा रहे है. यहां गली मोहल्लों तक मेडिकल खुले हुए है. जिनमें से किसी भी खेरीज का लाइसेंस नहीं है.
थोक लाइसेंस लेने की वजह यह है कि इसके लिए फार्मेसी की डिग्री की जरूरत नहीं होती है.
बताया जाता है कि यहां लगभग 60 फीसद के करीब ऐसे मेडिकल है जिन पर थोक के लाइसेंस पर इनको चलाया जा रहा है. जिनके पास स्टोर का लाइसेंस हैं वहां भी फार्मासिस्ट मौजूद नहीं है.
मेडिकल स्टोर का कई डाक्टरों से सांठगांठ है, जिसके चलते महंगी दवाओं को जेनेरिक दवाएं की जगह पर बेचा जाता है. कमीशन के आधार पर इन दवाओं की सेल कराई जाती है.
वहीं इस बाबत ड्रग इंस्पक्टर मुरैना देशराज राजपूत का कहना है कि जल्द ही कैलारस निरीक्षण किया जाएगा, नियम विरुद्ध पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.