नई दिल्ली। देश की शिशु मृत्यु दर में गिरावट आई है। 2012 में यह मृत्यु दर 42 थी लेकिन 2017 में यह गिरकर 33 पर पहुंच गई है। लेकिन 2012 से पहले के पांच सालों से तुलना की जाए तो परिवर्तन की यह गति बेहद धीमी है। उस वक्त शिशु मृत्यु दर का आंकड़ा 55 से 42 तक गिर गया था।
गौरतलब है कि भारत की शिशु मृत्यु दर आज भी दक्षिण एशियाई देशों श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल की तुलना में काफी बदतर है, इसलिए यह धीमी गति चिंता का विषय है। आईएमआर का मतलब होता है प्रति 1000 जीवित जन्मे शिशुओं में से एक वर्ष या इससे कम उम्र में मर गये शिशुओं की संख्या और इस दर में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के कई हिस्सों में गिरावट देखी जा रही है।
वैश्विक औसत आईएमआर 29 है लेकिन निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए यह 34 है। भारत भी इसी श्रेणी में आता है। वहीं, यूरोपीय क्षेत्र और श्री लंका का आईएमआर 8 है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम द्वारा जारी किए गए आंकड़े दिखाते हैं कि जहां ग्रामीण इलाकों में शिशु मृत्यु दर पिछले साल से मामूली रूप से घट गई थी। वहीं शहरी इलाकों में शिशु मृत्यु दर भारत के लिए लगभग समान रही। बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट, पंजाब और उत्तराखंड में शहरी इलाकों में 2016 से अब तक शिशु मृत्यु दर में मामूली वृद्धि हुई थी, लेकिन गुजरात और कर्नाटक के शहरी इलाकों में शिशु मृत्यु दर में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई। यह वृद्धि 19 से 22 तक पहुंच गई थी।