मुंबई। नैशनल एंटी प्रॉफिटीयरिंग अथॉरिटी (एनएए) ने टैक्स में कमी का फायदा ग्राहकों को नहीं देने पर कन्ज्यूमर गुड्स कंपनी ‘पतंजलि’ के डिस्ट्रीब्यूटरों की जांच शुरू की है। एनएए यह पता लगा रही है कि कहीं उन्होंने टैक्स घटने से हुई बचत को हजम तो नहीं कर लिया? इस मामले में पिछले एक महीने में पतंजलि के 10 बड़े डिस्ट्रीब्यूटर्स को नोटिस जारी किया गया है, जिन्होंने जीएसटी रेट घटाए जाने के बाद सामान सस्ते नहीं किए थे। गौरतलब है कि पतंजलि पर एनएए ने पहले ही 150 करोड़ का जुर्माना लगाया था। इस मामले में जांच चल रही है। वहीं, हिंदुस्तान यूनिलीवर, प्रॉक्टर एंड गैंबल, जॉनसन एंड जॉनसन और फास्ट फूड चेन मैकडॉनाल्ड्स की फ्रेंचाइजी हार्डकासल रेस्ट्रॉन्ट्स पर भी जीएसटी की दरों में कटौती का फायदा ग्राहकों को नहीं देने पर जुर्माना लगाया जा चुका है। एनएए इसका भी पता लगा रहा है कि 30 जून 2017 तक कन्ज्यूमर गुड्स और दवाओं का जो स्टॉक डिस्ट्रीब्यूटर्स के पास था, उनके दाम में अगले दिन से जीएसटी लागू होने के बाद कमी की गई थी या नहीं। डिस्ट्रीब्यूटर्स को नोटिस जारी कर प्रॉडक्ट्स की कीमतों की जानकारी मांगी गई है। इसमें खासतौर पर कॉस्मेटिक्स प्रॉडक्ट्स पर जोर दिया गया है। इस मामले में टैक्स एक्सपट्र्स का कहना है कि टैक्स की दरों में कमी का फायदा ग्राहकों को दिया गया या नहीं, इसका पता लगाने का कोई तय फॉर्मूला नहीं है। इस बारे में खेतान एंड कंपनी के पार्टनर अभिषेक ए रस्तोगी ने कहा कि अभी तक सरकार या एनएए ने मुनाफाखोरी का पता लगाने का कोई फॉर्मूला नहीं बताया है। इस वजह से कई कंपनियों को परेशानी हो रही है। उन्होंने बताया कि कई डिस्ट्रीब्यूटरों के लिए जीएसटी की दरों में बदलाव के साथ प्रॉडक्ट्स के दाम में बदलाव करना मुश्किल काम था। इसलिए इसका फायदा ग्राहकों को देने में भी उन्हें मुश्किलें आई हैं। उन्होंने याद दिलाया कि जीएसटी की दरों में कई बार बदलाव हुए। हो सकता है कि समझ की कमी या क्लैरिटी नहीं होने के कारण डिस्ट्रीब्यूटर्स ने कीमतों में बदलाव न किया हो।