कानपुर। किसी भी रोग का इलाज करने के साथ दवाइयां साइड इफेक्ट भी देती हैं। अब दवाओं के जरिए पर्यावरण दूषित होने की भी बात सामने आई है। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे कमल किशोर ने 71 देशों की तीन हजार से अधिक दवाओं पर शोध कर दावा किया है कि दुनिया भर में दवाइयों से निकलने वाला तकरीबन एक लाख टन केमिकल प्रतिवर्ष पर्यावरण में घुल रहा है। इसमें दवाओं के साथ खेतों में प्रयोग होने वाले कीटनाशक भी शामिल हैं। शोध के मुताबिक दवाओं का सेवन करने वाले व्यक्ति के मूत्रमार्ग से हानिकारक अवशेष निकलते हैं जो नाली और सीवर के जरिए नदियों, नहरों और तालाबों में जाते हैं। इसमें कई ऐसे तत्व भी हैं जो जलीय जीवों के लिए खतरा हैं। साथ ही खेत की मिट्टी और फसलों को भी नुकसान पहुंचाते हैं।