देहरादून
दक्षिण भारत से डॉक्टर लाकर पहाड़ के अस्पतालों में तैनात करने की स्वास्थ्य विभाग की योजना फाइलों में कैद होकर रह गई है। महीनों की कसरत के बाद भी विभाग एक भी डॉक्टर तैनात नहीं कर पाया है। विभाग अब प्रदेश के नए एमबीबीएस पास आउट डॉक्टरों को रोकने की योजना पर काम कर रहा है। दूसरी ओर खाली डॉक्टरों के पद भरने के लिए तमिलनाडु के एक गैर सरकारी संगठन को ठेका देने की तैयारी भी हो रही है। संगठन इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री समेत विभागीय उच्चाधिकारियों के सामने अपना प्रजेंटेशन भी दे चुका है।
प्रदेश में चिकित्सकों के कुल 2699 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से केवल 1080 पर ही चिकित्सक तैनात हैं। विशेषकर पहाड़ी क्षेत्र के अस्पतालों में चिकित्सकों का भारी टोटा है। सरकारी चिकित्सक पहाड़ के अस्पतालों में नौकरी करने को बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं। तमाम प्रोत्साहन योजनाओं के बावजूद यहां डॉक्टर पहुंचाना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है। विभाग लंबे समय से 1619 पदों पर चिकित्सकों की नियुक्तिके लिए कवायद कर रहा है। हर सप्ताह वॉक इन इंटरव्यू और भर्ती की प्रक्रिया के बावजूद चिकित्सक नहीं मिले तो विभाग ने दक्षिण भारत से चिकित्सक लाने का दावा किया। इसकी कवायद शुरू हुई और दक्षिण भारत के समाचार पत्रों में विज्ञापन भी प्रकाशित किए गए। लेकिन कई माह बीतने के बावजूद नियुक्तिप्रक्रिया शुरू नहीं हुई। प्रांतीय चिकित्सक सेवा संघ भी इसके विरोध में है। इन सब विषमताओं के बीच पहाड़ के मरीजों की जान आफत में आन पड़ी है।