हनुमानगढ़। जिला प्रशासन ने निर्णय लिया है कि अब बिना पीएचसी वाले गांवों में भी मेडिकल स्टोर खोले जा सकेंगे। हालांकि, इस तरह के गांव में मेडिकल स्टोर का लाइसेंस तभी जारी होगा, जब फार्मासिस्ट उसी गांव का मूल निवासी होगा। इस कदम से बेरोजगार फार्मासिस्टों को रोजगार मिलेगा, वहीं ग्रामीणों को दवा के लिए दूसरे गांवों में नहीं भटकना पड़ेगा।
बता दें कि गांवों में नशे की रोकथाम के उद्देश्य से औषधि नियंत्रण संगठन की ओर से हनुमानगढ़ जिले में जिन गांवों में पीएचसी या सीएचसी नहीं है, वहां पर मेडिकल लाइसेंस जारी करने पर ढाई साल पहले रोक लगा दी थी। गांवों में ड्रग लाइसेंस जारी करने पर रोक होने के कारण बेरोजगार फार्मासिस्टों को परेशानी हो रही थी। वहीं जिन गांवों में मेडिकल स्टोर नहीं है, वहां के ग्रामीणों को दवा लेने के लिए दूर-दराज जाने की समस्या उठानी पड़ रही थी। खास बात है कि प्रदेश में केवल हनुमानगढ़ जिले में ही कलेक्टर का यह आदेश प्रभावी था, जबकि ड्रग एक्ट में ऐसा कोई नियम नहीं है। गौरतलब है कि कलेक्टर ने गत 5 अप्रैल 2016 को आदेश जारी किया था कि जिस गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है, वहां अग्रिम आदेशों तक ड्रग लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा।
बीफार्मा कर चुके गुरविंद्रसिंह का कहना है कि करीब दस माह पहले उसने अपने गांव चक ज्वालासिंहवाला में मेडिकल स्टोर खोलने के लिए लाइसेंस लेने के लिए आवेदन किया था, लेकिन कलेक्टर के आदेश का हवाला देते हुए आवेदन खारिज कर दिया गया। इसके बाद गुरविंद्र सिंह ने अपने साथी फार्मासिस्ट चिमनलाल मोसलपुरिया, सुरेंद्र नरूला, मांगीलाल, गौरव ग्रोवर, राजेंद्र, कुलविंद्र सिंह, राजेश सैनी, राजपाल सेवटा आदि के साथ मिलकर संघर्ष किया और ड्रग कंट्रोलर से लेकर कलेक्टर तक गुहार लगाई। तब प्रशासन ने इसमें शिथिलता देते हुए राहत प्रदान की। जिन गांवों में सीएचसी या पीएचसी नहीं है, वहां के ग्रामीणों को अभी तक आम दवा लेने के लिए भी दूसरे गांव और शहर आना पड़ता है। ऐसे में इन गांवों में मेडिकल स्टोर खुलने से बड़ी राहत मिल पाएगी।  एडीसी अशोक मित्तल ने बताया कि बेरोजगार फार्मासिस्टों को ध्यान में रखते हुए जिन गांवो में पीएचसी नहीं हैं, वहां पर उसी ग्राम पंचायत के मूल निवासी फार्मासिस्ट को ड्रग लाइसेंस जारी करने का निर्णय लिया गया है। वहीं, सीएमएचओ डॉ. अरूण चमडिय़ा का कहना है कि जिन गांवों में पीएचसी या सीएचसी नहीं है, वहां पर बिना प्रेस्क्रिप्शन नशीली दवा नहीं बिके इसलिए कलेक्टर ने रोक लगाई थी। इसका यह मकसद नहीं कि किसी योग्य फार्मासिस्ट को रोजगार से वंचित किया जाए। इसलिए इस पर सहमति जताते हुए शर्त के साथ शिथिलता दी गई है। इससे ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले बेरोजगार फार्मासिस्ट को राहत मिलेगी।