रोहतक: सरकार और सामाजिक संगठनों के लाख प्रयासों के बावजूद नेत्रदान के प्रति लोग उदासीन है। प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान पीजीआईएमएस रोहतक की बात करें तो वर्तमान में यहां 450 नेत्रहीन वेटिंग लिस्ट में है। नेत्र विभाग के डॉ. राजेंद्र चौहान के मुताबिक, साल में 160 से 170 कोर्निया ही पीजीआई को मिल पाते हैं। नेत्रदान में प्रगति के उद्देश्य से उन्नत फाउंडेशन और मेडीकेयर न्यूज के साझा सहयोग से नेकीराम कॉलेज में जागरुकता शिविर लगाया गया, जिसमें नेत्र विशेषज्ञ, शिक्षक और प्रबुद्ध लोगों ने विद्यार्थियों को नेत्रदान का महत्व बताया और उन्हें संकल्प दिलाया कि न केवल स्वयं नेत्रदान करेंगे बल्कि अपने आसपास समाज में भी जागरुकता फैलाएंगे।
डॉ. राजेंद्र चौहान ने कहा कि मानव शरीर में जब तक आंखें नहीं हैं, वह अधूरा है। आंखों बिना हम इस खूबसूरत दुनिया के दर्शन से महरूम हैं। मन में नेत्रहीनता का ख्यालभर आने से ही रूह कांप उठती है तो ऐसे में सोचना चाहिए कि जिनके जीवन में नेत्रहीनता है वह कितना कष्ट सह रहा होगा। नेकीराम कॉलेज के प्राचार्य डॉ. वेदप्रकाश श्योराण ने उन्नत फाउंडेशन और मेडीकेयर न्यूज के संयुक्त प्रयासों को सराहते हुए कहा कि किसी भी कार्य के सफल मुकाम तक पहुंचने में जागरुकता अभियानों की महत्ती भूमिका है। फाउंडेशन के सुदर्शन कुमार ने कहा कि इनसान की मृत्यु के बाद उसका शरीर जीवित लोगों के लिए अर्पण करना ही ईश्वर के प्रति स‘ची आस्था है। परिजनों को दृढ़ निश्चय करना होगा कि जलकर राख होने से अ‘छा है मृतक शरीर को दान करें ताकि उसके अंग किसी के जीवन में नई रोशनी लाने का माध्यम बनें।