रोहतक। पीजीआईएमएस में डाक्टर की भारी लापरवाही का मामला सामने आया है। एमडीयू के साइकोलॉजी विभाग की लैब अटेंडेंट मीनाक्षी के दाएं हाथ का सर्जरी विभाग के पीजी स्टूडेंट ने लापरवाही से ऑपरेशन किया। पीजी छात्र ने लैब अटेंडेंट के हाथ की गांठ के साथ 2.5 सेंटीमीटर नर्व भी काट दी। इस पर भी पीजी छात्र ने मरीज से अभद्रता करते हुए यह तक कह डाला कि काटेंगे नहीं तो सीखेंगे कैसे। अब उपभोक्ता फोरम ने पीडि़ता के पक्ष में दिए फैसले में डॉक्टरों को दोषी मानते हुए उसे चार लाख रुपये मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। फोरम में दी शिकायत में हेल्थ यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार, पीजीआई निदेशक, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, एचओडी डॉ. एमएस ग्रेवान, डॉ. नताशा व डॉ. राजू शामिल हैं। रामगोपाल कॉलोनी निवासी एमडीयू में महिला लैब अटेंडेंट मीनाक्षी ने बताया कि उसके सीधे हाथ में गांठ थी। वर्ष 2015 में पीजीआई गई थी। यहां सर्जरी विभाग की डॉ. नताशा ने हाथ की गांठ निकालने के लिए ऑपरेशन बताया। उनके पीजी छात्र राजू ने हाथ का ऑपरेशन किया। न्यूरोफीब्रोमा के इस केस में डेढ़ घंटे माइनर ओटी में ऑपरेशन चला। यह गांठ निकालने के लिए पीजी छात्र ने अकेले ही आप्रेशन किया। जबकि यहां एनेस्थिसियोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, ऑर्थोपेडिशियन, स्टाफ नर्स व अन्य की मौजूदगी जरूरी थी। गड़बड़ी को लेकर सात जनवरी 2016 को उपभोक्ता फोरम में अंडर सेक्शन सात के तहत शिकायत की। फोरम के अध्यक्ष नगेंद्र सिंह कादयान, सदस्य वेदपाल व डॉ. रेणु चौधरी ने आठ अगस्त 2019 को मेरे पक्ष में फैसला दिया।
महिला लैब अटेंडेंट ने ऑपेरशन के तुरंत बाद ही डॉक्टर को हाथ नहीं उठने की शिकायत की थी। इस पर डॉक्टर ने हाथ सुन्न होने की बात कही। बाद में न्यूरो विभाग में जांच कराई तो गलत ऑपरेशन होने की बात सामने आई। इस बारे में पीजी छात्र की सीनियर डॉक्टर से शिकायत की तो उसने महिला को अपने कमरे से बाहर निकाल दिया।
महिला ने बताया कि वह ऑपरेशन के बाद एक महीने तक पीजीआई के चक्कर लगाती रही। यहां किसी ने सुनवाई नहीं की। बाद में गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में इलाज कराया। यहां पता लगा कि गांठ के साथ डॉक्टर ने 2.5 सेंटीमीटर की नर्व भी काट दी। यह रेडियल नर्व थी। इसी से कलाई घूमती है। नर्व कटने के बाद से हाथ काम नहीं कर रहा है। यही नहीं नर्व काटने के बाद उसे बंद तक नहीं किया। नर्व को खुला छोड़ हाथ का कट बंद कर दिया। अधिवक्ता किरण ने बताया कि पीडि़ता मीनाक्षी ने उपभोक्ता फोरम में दी शिकायत में हेल्थ यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार समेत सात लोगों को पार्टी बनाया। इसमें पीजीआई निदेशक, एमएस, सर्जरी विभाग के एचओडी, विभाग की यूनिट दो की महिला डॉक्टर, पीजी छात्र व सरकार शामिल हैं। फोरम ने इनमें से छह को लापरवाही से इलाज करने का दोषी मानते हुए चार लाख रुपये मुआवजा पीडि़ता को देने का फैसला दिया है। महिला लैब अटेंडेंट ने बताया कि गलत ऑपरेशन के बाद हाथ ने काम करना बंद कर दिया। इसके चलते स्थायी विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया। सिविल सर्जन कार्यालय ने पीजीआई से राय लेकर सात प्रतिशत विकलांगता का प्रमाण पत्र दिया। इस पर संशय होने पर पीजीआईएमआर चंडीगढ़ में अपील की। यहां जांच के बाद 21 प्रतिशत स्थायी विकलांगता का प्रमाण पत्र बना। यही नहीं, पीजीआई में मेरी रिपोर्ट तक बदल दी गई।