रोहतक। एक जनवरी 2018 से पीजीआई में बने धनवतंरी एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में मरीजों को इलाज मिलना शुरू हो गया है। दस वर्ष पहले इस भवन का शिलान्यास हुआ और चार वर्ष पूर्व बनकर ये तैयार हो गया था लेकिन डॉक्टर एवं अन्य स्टाफ उपलब्द्ध न होने की वजह से ये ट्रामा सेंटर शुरू नहीं हो सका।
यूनिवर्सिटी ऑफ हैल्थ साइंस के कुलपति डॉ ओपी कालरा की कड़ी मेहनत से हरियाणा का यह बहुप्रतीक्षित सेंटर शुरू हुआ है। पीएम योजना की मदद से इस पर करीब 50 करोड़ रूपए खर्च हुआ है। ट्रॉमा सेंटर में जनरल सर्जरी, ओर्थोपेडिक्स, न्यूरोसर्जरी व सभी सर्जिकल संबंधी मरीजों का उपचार होगा। मेडिसन, छाती एवं टीबी रोग और बाल रोग विभाग की आपातकालीन सेवाएं पहले की तरह ही पीजीआइ के इमरजेंसी विभाग में ही जारी रहेंगी।
ट्रॉमा सेंटर में ग्राउंड फ्लोर पर बनी हुई ओटी तीन रंगों में विभाजित है। इसमें लाल, पीले और हरे रंग शामिल हैं। लाल रंग में गंभीर रूप से घायल मरीजों का उपचार किया जाएगा जबकि पीले रंग के ओटी में उससे कम और फिर हरे रंग की ओटी में सबसे कम। इन तीन रंगों में विभाजित ओटी में बेड की संख्या समान है।
धनवंतरी एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में दिल की धड़कन को चालू करने के लिए पांच इंफ्यूजन पंप की व्यवस्था की गई है। कुलपति डॉ. ओपी कालरा ने बताया कि यह ट्रॉमा सेंटर अत्याधुनिक मशीनों से लैस है। इसमें जहां तीन टेस्ला की एमआरआइ मशीन लगी हुई है तो वहीं पर अत्याधुनिक एक्स रे मशीन भी काम कर रही है। उन्होंने बताया कि कई बार दुर्घटनाओं में ऐसे घायल मरीज आते हैं जिनकी दिल की धड़कन बंद हो गई होती है लेकिन अगर कुछ समय के भीतर ही उन्हें इलेक्ट्रिक शॉट दिए जाएं तो उसे दोबारा से चालू किया जा सकता है।
ट्रामा सेंटर में स्टाफ की स्थिति
डॉक्टर : 41
नर्स : 130
सुरक्षाकर्मी : 30
सफाईकर्मी : 50
ट्रॉमा सेंटर की खास बातें
आपरेशन थियेटर : पांच, तीन माइनर ओटी और दो मेजर
वार्ड : एक, ट्रॉमा सेंटर की तीसरी मंजिल पर स्थापित।
वार्ड में बेड : 45, हर विभाग के मरीज के लिए अलग-अलग बेड
आइसीयू : एक
आइसीयू में बेड : 40, वर्तमान में कार्यरत- 20
वेंटिलेटर : 21, वर्तमान में दस