नई दिल्ली। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) ने बताया है कि भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में एचआईवी / एड्स महामारी की स्थिति अत्यधिक चिंताजनक है। दरअसल आबकारी और नारकोटिक्स विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ड्रग उपयोगकर्ताओं को इंजेक्शन देकर एक सामान्य सिरिंज को साझा करना भारत में एचआईवी / एड्स के प्रमुख राज्यों में से एक है, जो औसतन पांच से छह एचआईवी पॉजिटिव मामलों में दर्ज है।” बोला था।
मिजोरम में 2.04 प्रतिशत और दो अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों मणिपुर और नागालैंड में एचआईवी की व्यापकता दर क्रमशः 1.43 प्रतिशत और प्रति एक लाख लोगों पर 1.15 प्रतिशत है। बतादें कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव आलोक सक्सेना ने हालिया एनएसीओ रिपोर्ट में अपने अवलोकन में कहा कि विश्व स्तर पर सबूत सामने आए हैं कि एचआईवी संक्रमित लोगों की तुलना में एचआईवी संक्रमित लोग कोविड-19 की मौत के जोखिम में अधिक हैं। ।
सक्सेना ने नाको रिपोर्ट में कहा, “राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के लिए चुनौतियां कोविड-19 महामारी से कई गुना अधिक हैं।” एक और चिंता की बात है, कई उत्तर-पूर्वी राज्यों, विशेष रूप से त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड में 15 से 20 साल के बीच युवाओं में इंट्रावीनस ड्रग यूजर्स (आईडीयू) का चलन तेज गति से बढ़ रहा है। वहीं मणिपुर में भारत में प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर सर्वाधिक एड्स से संबंधित मृत्यु दर 36.86 है, जिसके बाद मिजोरम (28.34), नागालैंड (26.20), आंध्र प्रदेश (21.76), पुदुचेरी (15.33), मेघालय (11.08) और तेलंगाना (10.79) में सबसे अधिक मृत्युदर है। एनएसीओ ने नाको रिपोर्ट को सूचित किया।