चंडीगढ़। पीजीआईएमईआर के एक अध्ययन में सामने आया है कि रक्त नलिकाओं में खून के थक्कों को समाप्त करने के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा स्ट्रेप्टोकीनेस के प्रयोग से गंभीर पैंक्रियाटाइटिस (एसएपी) के रोगियों में सर्जरी की जरूरत को कम करने में मदद मिल सकती है। एसएपी में अग्न्याशय के ऊतकों का क्षय होने लगता है और फेफड़े, हृदय या गुर्दे आदि प्रमुख अंग काम करना बंद कर देते हैं। इस बीमारी में मृत्यु दर उच्च होती है।

चंडीगढ़ स्थित आयुर्विज्ञान और अनुसंधान स्नातकोत्तर संस्थान (पीजीआईएमईआर) के बयान के अनुसार एसएपी के उपचार में स्ट्रेप्टोकीनेस दवा की भूमिका सिद्ध करने के लिए यह इस तरह का पहला अध्ययन है। इस दवा का परंपरागत रूप से हृदय आदि की रक्त नलिकाओं में खून के थक्कों को समाप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है।

संस्थान के सर्जिकल गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के प्रमुख और प्रोफेसर, डॉ राजेश गुप्ता ने कहा, ‘‘दुनिया में पहली बार स्ट्रेप्टोकीनेस एसएपी के प्रबंधन में उपयोगी साबित हुई है। इसके परिणाम से साफ पता चलता है कि स्ट्रेप्टोकीनेस के इस्तेमाल से सर्जरी की जरूरत कम हुई और इसका उपयोग करने से कोई जटिल स्थिति पैदा नहीं हुई, जिसकी बड़ी आशंका थी।’’उन्होंने कहा कि यह पहला बड़ा अध्ययन है जिसमें 100 से अधिक रोगियों ने भाग लिया। इस टीम ने सबसे पहली बार 2013 में इस दिशा में प्रायोगिक कार्य किया था।