वाराणसी के प्राइवेट अस्पतालों में फायर एनओसी और रजिस्ट्रेशन की जांच की जा रही है, तो वहीं सरकारी अस्पतालों की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। सरकारी अस्पतालों में संसाधनों की जांच करने वाला कोई नहीं है। जब सरकारी अस्पताल में संसाधनों की जांच की गई तो एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों पर आग से बचाव के सभी जरूरी संसाधन उपलब्ध नहीं है। ऐसे में अगर कोई बड़ी आगजनी की घटना घट गई तो, उसपर काबू कर पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा।

जिले में सरकारी अस्पतालों में शार्ट सर्किट सहित अन्य गड़बड़ियों की वजह से आगजनी की घटनाएं होती रहती है। जिस तरह लखनऊ के लेवाना होटल में घटनाएं हुई उसके बाद एक जांच टीम निजी अस्पतालों में फायर एनओसी की जांच कर रही है। सरकारी अस्पतालों में भी अगर टीम जाए तो, यहां सुविधाओं की हकीकत का पता चलेगा वहीं मंडलीय अस्पताल के चिल्ड्रेन वार्ड, नेत्ररोग, के साथ ही कार्डियो के पास प्रयोग में आने में पाइप नहीं दिखी फिर कही मिली भी तो वह फटी हुए थी।

इसमें काशी विद्यापीठ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर केवल एक ही अग्निशमन यंत्र लगा है। इस तरह कि स्थिति तब है जब यहां हर दिन सैकड़ों मरीज आते हैं। इसके अलावा नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर अग्निशमन यंत्र लगाया गया है।
वहां के प्रभारी डॉ मुकेश के अनुसार फायर एनओसी भी नहीं है। उधर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सेवापुरी में अग्निशमन यंत्र तो लगा है, लेकिन विभाग की ओर से एनओसी नहीं ली गई है।

प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर देवदत्त के अनुसार अग्निशमन यंत्र की रिफिलिंग नहीं हो पाई है। इस बारे में जब सीएमओ संदीप चौधरी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों की तरह है। सरकारी अस्पतालों में भी आग से बचाव के संसाधनों की जांच कराई जाएगी। फिलहाल सभी जिम्मेदार अधिकारियों को जरूरी संसाधन की व्यवस्था करने के लिए निर्देश दिया जाएगा।