उज्जैन। प्राइवेट हॉस्पिटल्स के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सिफारिशों पर नई गाइडलाइन जारी कर दी गई है। अब किसी भी मरीज की मौत होने पर नि:शुल्क शव वाहन मुहैया कराने की जिम्मेदारी हॉस्पिटल संचालक की होगी। प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक मरीज की मौत होने पर बकाया बिल की वसूली के लिए डेड बॉडी देने से मना नहीं कर सकेंगे। उन्हें शव परिजनों के सुपुर्द करना ही होगा।
डेड बॉडी मैनेजमेंट गाइडलाइन जारी
मप्र स्वास्थ्य आयुक्त ने डेड बॉडी मैनेजमेंट गाइडलाइन जारी की है। बता दें कि यह गाइडलाइन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा बीते साल की गई सिफारिशों के आधार पर बनाई गई है। निजी अस्पतालों में नई व्यवस्था को लागू करने के लिए गाइडलाइन नर्सिंग होम एसोसिएशन और नर्सिंग होम संचालकों को भेजी गईहै।
बकाया बिल के लिए डेड बॉडी नहीं दी तो कार्रवाई होगी
निजी अस्पताल या नर्सिंग होम में मरीज की मौत होने पर शव की सुपुर्दगी परिजन को नहीं होने तक शव को बॉडी फ्रीजर में सुरक्षित रखना होगा। इस दौरान शव को सम्मानजनक प्रोटोकॉल में रखना भी सुनिश्चित करना होगा। गाइडलाइन के अनुसार निजी अस्पताल या नर्सिंग होम संचालक शव को बिल वसूली के लिए बंधक बनाते हैं तो कार्रवाई की जाएगी। इसकी मॉनिटरिंग स्वास्थ्य संचालनालय की अस्पताल प्रशासन शाखा करेगी।
हॉस्पिटल संचालक की होगी जिम्मेवारी
गाइडलाइन में कहा गया है कि इलाज के दौरान मरीज की मौत होने पर शव परिजन को सुपुर्द करने के साथ ही अस्पताल संचालक की जिम्मेदारी खत्म नहीं होगी। हॉस्पिटल डायरेक्टर को मृतक के परिजन से चर्चा कर उनकी जरूरत को समझना होगा। शव को संबंधित के घर तक नि: शुल्क शव वाहन से पहुंचाना होगा। नगरीय निकाय से समन्वय कर नि:शुल्क शव वाहन मुहैया कराने की जिम्मेदारी भी हॉस्पिटल संचालक की होगी।
लावारिस की मौत पर पुलिस को सूचित करना होगा
नई गाइडलाइन के अनुसार निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुए लावारिस व्यक्ति की मौत की सूचना क्षेत्र के संबंधित पुलिस थाना प्रभारी को देना होगी। इसके अलावा, जब तक शव पुलिस या परिजन के सुपुर्द नहीं हो जाता, तब तक बॉडी फ्रीजर में भी रखनी होगी।