अंबेडकरनगर। नशे का कारोबार इस कदर बढ़ता जा रहा है कि लोग अब ऑनलाइन व ऑफलाइन धड़ल्ले से कारोबार कर रहे है। गौरतलब है कि मेडिकल स्टोरों का ब्योरा ऑनलाइन व ऑफलाइन करने में फार्मासिस्ट तैनाती का फर्जीवाड़ा छिपा है। एक फार्मासिस्ट के प्रमाणपत्र पर दर्जनभर तक मेडिकल स्टोर के लाइसेंस जारी हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि ऑफलाइन में फार्मासिस्ट का फर्जीवाड़ा अधिक है।
विभाग को इसकी जानकारी रहती है। निरीक्षण में इसके पकड़ में आने के बाद चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। कुछ मेडिकल स्टोर संचालक बताते हैं कि इसके बदले में ठेकेदारों के जरिए उपकृत किया जाता है।हालांकि औषधि निरीक्षक अनीता कुरील ने बताया कि निरीक्षण के दौरान फार्मासिस्ट के नहीं मिलने पर कार्रवाई की जाती है। एक फार्मासिस्ट के प्रमाणपत्र पर कई मेडिकल स्टोरों का लाइसेंस लिए जाने के मामले में अभिलेखों को खंगालेंगे। गड़बड़ी मिलने पर सख्त कार्रवाई होगी।
ऐसी कोई गड़बड़ी की गई है, तो विभाग को इसकी जानकारी नहीं है। गौरतलब है कि औषधि प्रशासन विभाग मेडिकल स्टोरों का नियमित निरीक्षण करता है। बगैर लाइसेंस तथा मानक व गुणवत्ता विहीन दवाओं की मेडिकल स्टोरों पर बिक्री आदि का सुराग विभाग लगा लेता है, वहीं फार्मासिस्ट के तैनात नहीं होने की व्यापक खामी पर नजर नहीं जाती। जिला मुख्यालय से गांव तक थोक तथा फुटकर दवाओं के करीब 1100 लाइसेंसी मेडिकल स्टोर हैं। इसमें आधे से अधिक फुटकर दवाओं के मेडिकल स्टोर हैं।
यहां फार्मासिस्ट होना अनिवार्य है। विभाग भी सभी मेडिकल स्टोरों पर फार्मासिस्ट के तैनात होने का दावा करता है। जबकि मौके पर कहीं भी फार्मासिस्ट नजर नहीं आते। दरअसल ऑनलाइन लाइसेंस से इतर मैनुअल लाइसेंस की व्यवस्था अभी जारी है। गड़बड़ी का खेल पकड़ने में फार्मासिस्ट की पहचान उजागर होना चाहिए। ऑनलाइन मेडिकल स्टोर का लाइसेंस लेने में खूब गड़बड़ी हुई है। ऑफलाइन मेडिकल स्टोर में लगे फार्मासिस्ट के अभिलेख ही ऑनलाइन मेडिकल स्टोरों में इस्तेमाल किया गया है।औषधि विभाग की लगातार निगरानी होने के बावजूद यह गड़बड़ी पकड़ में नहीं आना सवालों के घेरे में है।