National Medical Commission: हाल ही में ये नियम लागू हुआ था कि अब फार्मासिस्ट भी डॉक्टर की तरह दवाई का पर्चा लिख पायेंगे। लेकिन राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) भारतीय फार्मासिस्ट परिषद (Pharmacists Council of India) के इस फैसले से सहमत नहीं है कि फार्मासिस्ट को पर्चा लिखने की अनुमति प्राप्त हो। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) ने कहा कि परामर्श लिखना रोगियों की जांच पर निर्भर करता है।
फार्मासिस्ट बनने की योग्यता उस राज्य के नियमों पर आधारित (National Medical Commission)
स्वास्थ्य मंत्री प्रवीण पवार ने लोकसभा में एक प्रश्न पत्र के लिखित उत्तर के दौरान ये बातें कहीं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में फार्मासिस्ट की भर्ती, उनकी सैलेरी और किसी राज्य में अस्पतालों में फार्मासिस्ट बनने की योग्यता उस राज्य के नियमों पर आधारित होगी।
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क्या होता है फार्मेसी प्रेक्टिस रेगुलेशन
साल 2015 में फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से फार्मेसी प्रेक्टिस रेगुलेशन एक्ट को बनाया गया था।इस एक्ट का उद्देश्य फार्मेसी सेक्टर में सुधार करना और उसे रेग्युलेट करना था। सीधे तौर पर कहा जाए तो भारत में दवाई की दुकान चलाने वाले फार्मासिस्ट को लेकर कुछ नियम बने हुए हैं जिसमें फार्मासिस्ट की जिम्मेदारियां तय की गई हैं। इसे साल 2021 में अपडेट भी किया गया था।
फार्मेसी प्रेक्टिस रेगुलेशन एक्ट के तहत फार्मासिस्ट प्रेक्टिस के नियम, फार्मासिस्ट बनने के नियम, फार्मासिस्ट की जिम्मेदारियां जैसे नियमों के बारे में बताया गया है। इस कानून में फार्मासिस्ट को मरीजों को सलाह देने पर फीस लेने की छूट दी गई है।
क्या सलाह देने पर फीस लेंगे फार्मासिस्ट
इस नियम के लागू होते ही लोगों को लगने लगा कि, अब फार्मासिस्ट भी दवाई लिख पाएंगे और अपना क्लिनिक खोल पाएंगे. लेकिन, ये कानून ऐसा करने की इजाजत नहीं देता है।
इस बारे में सरकार की तरफ से भी इस पर स्पष्टीकरण भी आ चुका है जिसमें बताया गया है कि फॉर्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन नियम में क्लिनिक खोलने को लेकर कोई भी प्रावधान नहीं है।