जोधपुर: निदेशक, चिकित्सा निदेशालय जयपुर द्वारा 15 सितंबर 2017 को जारी आदेश में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना में कार्यरत समस्त संविदा फार्मासिस्ट की सेवाएं समाप्त करने आदेश पर जब राजस्थान हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई तो देश भर के फार्मासिस्ट उत्साहित हो उठे। राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने न केवल संविदा पर कार्यरत फार्मासिस्टों को सेवा से हटाने पर अंतरिम रोक लगाई बल्कि राज्य सरकार से जवाब-तलब भी किया। बता दें कि जिला अस्पतालों में निशुल्क दवा काउंटर पर पिछले 6-7 वर्षों से फार्मासिस्ट संविदा पर कार्यरत हैं। फार्मासिस्टों के मुताबिक, वे नियमानुसार अपनी ड्यूटी का निवर्हन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि चिकित्सक का काम दवा लिखना है जबकि दवा वितरण का काम फार्मासिस्ट का होता है। उन्हें यह अधिकार कानूनन है, बावजूद इसके शासन ने उन्हें हटाने के निर्देश जारी कर कानून का उल्लंघन किया है। याची के अधिवक्ता ने भी न्यायालय में तर्क दिया कि फार्मासिस्ट को हटाना गैर कानूनी है। नियमानुसार फार्मासिस्ट ही दवा वितरण के लिए प्राधिकृत है। सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में 14 हजार 964 दवा वितरण केंद्र स्थापित हैं, लेकिन 1416 नियमित फार्मासिस्ट ही नियुक्त हैं। नियमित फार्मासिस्ट पर्याप्त संख्या में नहीं होने के बावजूद इन्हें हटाया जा रहा है। शासन का यह कार्य सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है।