मुंबई। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) फ्रेमवर्क के तहत काम करने वाली एंटी-प्रॉफिटियरिंग बॉडी ने ओवर द काउंटर प्रॉडक्ट्स पर फोकस रखने वाली फार्मा और कंज्यूमर गुड्स कंपनियों पर सवाल उठाए हैं और उनकी प्राइसिंग स्ट्रैटेजी की जानकारी मांगी है। नेशनल एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी ने कंपनियों को लेटर भेजना शुरू कर दिया है। उनसे पूछा गया है कि उन्होंने जीएसटी के तहत घटे टैक्स रेट्स का फायदा कंज्यूमर्स को दिया या नहीं। मैनकाइंड, जॉनसन एंड जॉनसन, निरमा और कोलगोट के अलावा आयुर्वेद पर फोकस रखने वाली एक प्रमुख एफएमसीजी कंपनी से भी जवाब मांगा गया है। इससे पहले पतंजलि, एचयूएल, पीएंडजी, नेस्ले और हार्डकैसल सहित कई कंपनियों पर या तो जुर्माना लगाया था या उनसे सवाल जवाब किया था।
पिछले एक हफ्ते में ही कम से कम 50 कंपनियों को लेटर भेजे गए हैं और इन कंपनियों के सेल्स हेड्स से उनकी कॉस्ट एकाउंटिंग की जानकारी मांगी गई है। सूत्रों ने बताया कि कई कंपनियों के लिए इस बात की गणना करना मुश्किल हो रहा है कि जीएसटी के चलते उन्हें कितना फायदा हुआ था। कुछ मामलों में कंपनियों का कहना है कि जीएसटी लागू होने के वक्त कुछ प्रॉडक्ट्स पर डिस्काउंट्स दिए जा रहे थे, जिन्हें बाद में बंद कर दिया गया, लिहाजा जीएसटी लागू होने के बाद भी कीमत जस की तस रही।
केपीएमजी इंडिया के टैक्स और नैशनल हेड (इनडायरेक्ट टैक्स) सचिन मेनन ने कहा कि जीएसटी के चलते कस्टमर्स को दिए जाने वाले बेनेफिट्स की गणना करना कई कंपनियों के लिए मुश्किल हो रहा है क्योंकि कुछ मामलों में प्रॉडक्ट्स पर डिस्काउंट दिए जा रहे थे, जिन्हें बाद में बंद कर दिय गया। इसके चलते कीमतों में बदलाव नहीं हुआ। साथ ही, इस बारे में भी राय अलग-अलग है कि कंपनियां वजन बढ़ाने के जरिए ये बेनेफिट्स दे सकती हैं या नहीं। कुछ बड़ी एफएमसीजी और फार्मा कंपनियों का दावा है कि उन्होंने जीएसटी के बेनेफिट्स कंज्यूमर्स को दिए हैं, लेकिन रिटेलरों या होलसेलर ने ऐसा नहीं किया। डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एम.एस. मणि ने कहा कि सप्लाई चेन मैन्युफैक्चरर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स, होलसेलर्स, रिटेलर्स, मॉडर्न ट्रेड आदि तक फैली होती है।
लिहाजा मैन्युफैक्चरर्स के लिए यह पक्का करना आसान नहीं होता कि रेट घटाने का फायदा कंज्यूमर्स तक पहुंचे। मैन्युफैक्चरर यह पक्का कर सकता है कि नए स्टॉक पर बेनेफिट्स दिए जाएं, लेकिन ट्रेड इंटरमीडियरीज के पास पहले से मौजूद स्टॉक के मामले में उसकी भूमिका सलाह देने भर की होती है। इंडस्ट्री पर नजर रखने वालों का कहना है कि एंटी प्रॉफिटियरिंग से जुड़ा कानून नए और पाइपलाइन स्टॉक्स के बीच फर्क नहीं करता। मैनकाइंड, निरमा और कोलगेट ने ईटी के सवालों के जवाब नहीं दिए। वहीं, जॉनसन एंड जॉनसन ने कहा कि उसने प्रॉडक्ट्स के दाम घटाए हैं।