नॉन गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन, दे रहे नॉन ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट!
चंडीगढ़ : देश में 500, 1000 के नोट बैन से बेशक व्यापार जगत के तमाम सेक्टर सदमे में हैं, लेकिन फार्मा सेक्टर के कारोबारियों के चेहरों पर तनिक भी शिकन नहीं है। फार्मा व्यापारियों की यह शिकन दूर करने का नायाब तरीका निकाला है एनजीओ यानी नॉन गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन ने। दरअसल सरकार के काले धन खत्म करने की मुहिम को गैर सरकारी संगठन पलीता लगा सकते हैं। सामाजिक कार्यों के लिए सरकारी ग्रांटों पर आश्रित ये गैर सरकारी संगठन प्रधानमंत्री के सपने को दीमक की तरह खोखला करने पर आमादा दिख रहे हैं। ताजा जानकारी में सामने आया है चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाले पिछले एक-दो साल पहले मान्यता प्राप्त कुछ गैर सरकारी संगठन फार्मा कारोबारियों की काली कमाई को संगठन के खाते में जमा कराने का प्रस्ताव दे रहे हैं और उन्हें आश्वस्त कर रहे हैं कि उनकी पूंजी तय 50 दिन बाद यानी 30 दिसंबर बैन अवधि समाप्त होने पर सेफ सफेद रूप में, खर्चा काटकर लौटा दी जाएगाी।
कुछ एनजीओ के आगामी कार्यक्रमों की जानकारी लगी तो यह भी संदेह हुआ कि एनजीओ की इस काली प्रक्रिया में सरकार के कुछ जिम्मेदार अधिकारियों की भी शह है। सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले दिनों में फार्मा सेक्टर में काम करने वाले एनजीओ की सच्चाईयां उनके आलीशान कार्यक्रमों के जरिए सामने आएंगी। क्योंकि 30 दिसंबर तक पैसा निकलवाने की लिमिट है। जैसे-तैसे व्यवस्था चल रही है और आम आदमी करंसी लिमिटेशन के कारण दाल-रोटी बामुश्किल खा पा रहा है। ऐसे में एनजीओ, फार्मा कारोबारी और सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति में पांच सितारा होटलों के ये प्रस्तावित “लेविश फंक्शन” आम आदमी का मुंह चिढ़ाएंगे। सूत्रों की मानें तो काले धन को सफेद करने के “गंदे खेल” में अरब देशों में बैठे पूंजीपतियों का भी गहरा हस्तक्षेप है।