सरकार 2020 तक दवाईयों का टर्न ओवर 2.20 लाख करोड़ रुपए से बढाकर 3 लाख करोड़ करना चाहती है तो जीएसटी दर से लेकर अन्य फायदे फार्मा सेक्टर को देना आवश्य है

नई दिल्ली: बजट आने में सप्ताह भर बचा है, इसलिए दवा निर्माण करने वाला फार्मा सेक्टर बजट में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने वाली नीतियों/योजनाओं को शामिल करने की मांग कर रहा है। सेक्टर के एसएमई कारोबारी चाहते हैं कि दवाइयों पर जीएसटी की दर 5 फीसदी हो और उन्हें सस्ती दर पर लोन दिया जाए।
बता दें कि हिमाचल-उत्तराखंड की तर्ज पर मोदी का विकास मॉडल गुजरात भी देश में फार्मास्युटिकल सेक्टर हब के रूप में पहचाना जाता है। आगामी बजट को लेकर यहां खासा उत्साह है। फार्मा इंडस्ट्री चाहती है कि एसएमई को कम ब्याज पर लोन और नए निवेश पर मिलने वाली सब्सिडी की रकम को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया जाए। रिसर्च और डेवलेपमेंट में भी सरकार छोटी कंपनियों की मदद करे और जीडीपी का ज्यादा बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्च करे। उन योजनाओं पर होमवर्क करें जिससे फार्मा सेक्टर को मजबूती मिले। फार्मा इंडस्ट्री में उम्मीद हैं कि बजट में वित्तमंत्री कम से कम दरों की घोषणा जरूर करेंगे।
आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो एलोपैथी, आयुर्वेदिक और मेडिकल डिवाइस मिलाकर देश के फार्मा सेक्टर का कुल टर्नओवर करीब 2 लाख 20 हजार करोड़ रुपए है। इसमें से 1 लाख 20 हजार करोड़ की दवाइयां भारतीय बाजारों में बिकती है और 1 लाख करोड़ की दवाईयों का निर्यात होता है। फार्मा सेक्टर में एक तिहाई यानि 33 फीसदी हिस्सेदारी गुजरात की है। नोटबंदी के कारण नवंबर में दवाईओं की रिटेल बिक्री तो काफी बढ़ी थी लेकिन अगले 3 महीने में इसमें गिरावट देखने को मिल सकती है।