नई दिल्ली। विटमिन डी युक्त अनुपूरक आहार फेफड़े की बीमारी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मनरी डिजीज (सीओपीडी) से पीडि़त मरीजों में जानलेवा आघात यानी स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकता है। एक नए अध्ययन में ऐसा दावा किया गया है। ब्रिटेन की क्वीन मेरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के इस अनुसंधान ने विटमिन डी के स्वास्थ्य लाभों की सूची में एक और फायदा जुड़ गया है। विटामिन डी का मूल स्रोत सूरज की रोशनी है। हालांकि विटामिन डी की गोलियां, डेयरी उत्पाद, मछली और कुछ फोर्टिफाइड अनाजों से भी इस विटमिन की कमी पूरी की जा सकती है। विटामिन डी को यूं तो हड्डियों की सेहत के लिए खास तौर पर जाना जाता है लेकिन पूर्व के अध्ययनों में इसे जुकाम, फ्लू और दमा का दौरा रोकने में भी सक्षम बताया गया। साथ ही इसे कुपोषित बच्चों में वजन बढ़ाने एवं मस्तिष्क विकास के लिए भी सहायक बताया गया। अनुसंधान में पाया गया कि विटामिन डी अनुपूरक आहारों के इस्तेमाल से सीओपीडी मरीजों में फेफड़े का दौरा पडऩे की आशंका को 45 प्रतिशत तक घटाया जा सकता है। सीओपीडी से पीडि़त मरीजों में विटमिन डी की कमी होती है। हालांकि जिन मरीजों में विटमिन डी का स्तर अधिक था, उनमें कोई खास फायदा नहीं देखा गया। फेफड़े की बीमारियों से होने वाली लगभग सभी मौत फेफड़े का दौरा पडऩे से ही होती है।