प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, ‘प्राइवेट अस्पतालों के लिए सरकार मुफ्त में जमीन मुहैया कराती है या फिर बहुत मामूली चार्ज लेती है। ऐसे में इन अस्पतालों को इस महामारी के वक्त संक्रमितों का मुफ्त इलाज करना चाहिए। क्या प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना वायरस संक्रमितों के इलाज को लेकर वाकई कोई दिक्कत है।’ बेंच ने सॉलिसिटर जनरल को उन प्राइवेट अस्पतालों की लिस्ट बनाने को कहा है, जिन्हें चैरिटी ग्राउंड पर जमीन मुफ्त में अलॉट की गई थी। कोर्ट ने एक हफ्ते में इसकी रिपोर्ट सौंपने को कहा है। अदालत ने कहा, ‘आपको ऐसे अस्पतालों के बारे में पता लगाना चाहिए। इन अस्पतालों में चैरिटी ग्राउंड पर क्या काम होता है।’
इस मामले में सचिन जैन नाम के एक शख्स ने याचिका दायर की थी, जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये टिप्पणी की। उन्होंने याचिका में दावा किया था कि प्राइवेट अस्पताल कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए 10 से 12 लाख रुपये चार्ज कर रहे हैं। जबकि, इस इलाज में कोई सर्जरी भी नहीं हो रही है। अदालत ने केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया है। अब एक हफ्ते बाद इस मामले पर अगली सुनवाई होगी।