शोधकर्ताओं ने आंखों का एक ऐसा स्कैन विकसित किया है जो बच्चों के शुरू के एक- दो सालों में ही उनमें ऑटिज्म होने की पहचान करेगा। इससे इस बीमारी के बारे में पहले ही पता चल सकेगा और बच्चों का बेहतर इलाज किया जा सकेगा।

जर्नल ऑफ ऑटिज्म एंड डेवलपमेंटल डिसऑर्डर में प्रकाशित शोध के अनुसार आंखों का स्कैन करने के लिए हाथ से पकड़ने वाले उपकरण का इस्तेमाल किया जाएगा।

यह उपकरण आंखों की रेटिना से निकलने वाले इलेक्ट्रिकल संकेतों की मदद से ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की पहचान करेगा। पीड़ित बच्चों की आंखों में अलग तरह के इलेक्ट्रिकल संकेत दिखाई देते हैं।

ऑस्ट्रेलिया की फ्लिनडर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 180 लोगों की आंखों पर स्कैन का परीक्षण किया। इन लोगों की उम्र पांच से 21 वर्ष तक थी। ऑटिज्म से संबंधित संभावित बायोमार्कर जिसका इस स्कैन में इस्तेमाल किया जाता है और भी कई बीमारियों की पहचान करने में मदद कर सकता है।

संप्रेषण क्षमता प्रभावित होती है-
यह विकास संबंधी एक गंभीर विकार है, जो जीवन के प्रथम तीन वर्षों में होता है और व्यक्ति की सामाजिक कुशलता और संप्रेषण क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालता है। यह जीवनपर्यंत बना रहने वाला विकार है।