शिमला (हिमाचल प्रदेश)। बल्क ड्रग फार्मा पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क सरकार अपनी शर्तों पर ही बनाएगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने स्पष्ट कहा कि किसी भी पार्क को बंद करने की सरकार की कोई मंशा नहीं है। विधानसभा सदन में प्रश्नकाल के दौरान उन्होंने दोनों पार्क को एक रुपये लीज पर दी जमीन और जीएसटी में दी दस साल की छूट को लेकर पूर्व सरकार को घेरा। उन्होंने पूर्व की जयराम सरकार पर हिमाचल के हितों को बेचने के आरोप भी लगाए।

हिमाचल के हित भी देखने हैं : सीएम

भाजपा विधायक बिक्रम सिंह के सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पार्क में 400 एकड़ जमीन एक रुपये पर जमीन दी गई। मुफ्त में पानी देना है। तीन रुपये यूनिट पर बिजली भी देनी है। भारत सरकार ने इसके विकास पर केवल 100 करोड़ रुपये देने हैं। उद्योग मंत्री इस पर काम कर रहे हैं। मेडिकल डिवाइस पार्क को अपनी शर्त पर विकसित करेंगे, जिसमें हिमाचल के हित होंगे।

अच्छी कंपनियों को लाया जाएगा

सीएम ने कहा कि ऊना के हरोली में बल्क ड्रग फार्मा पार्क के लिए 1,400 एकड़ जमीन एक रुपये की लीज पर दी जानी है। इसमें भारत सरकार ने 1,000 करोड़ देने हैं। डीपीआर बनेगी तो 923 करोड़ रुपये हिमाचल सरकार देगी। सात रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदी जा रही है। इसे तीन रुपये प्रति यूनिट देना है। दस साल तक जीएसटी छोड़ दी है। दोनों ही पार्क बसेंगे, लेकिन इन्हें बसाने के लिए राज्य सरकार की अपनी शर्तें होंगी। इनके लिए अच्छी कंपनियों को लाया जाएगा।

20 हजार को मिलेगा रोजगार : जयराम

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार इतना बड़ा प्रोजेक्ट मिला है। कोविड के हालात में प्रधानमंत्री ने निर्णय लिया है कि कैसे अपने पांव पर खड़े हों। तीन बल्क ड्रग्स फार्मा पार्क बनाने की बात हुई। हिमाचल जैसे छोटे राज्य को यह परियोजना ऐसे नहीं मिली है। इसके लिए अधिकारियों ने दिन-रात मेहनत की है। डेढ़ साल बाद भी सरकार यह तय नहीं कर पा रही कि निर्माण राज्य सरकार को करना है या किसी और से कराना है। उन्होंने कहा कि इस पार्क में 20 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार भी मिलना है।

ड्रग पार्क के लिए तीन विकल्प : भाजपा विधायक

भाजपा विधायक बिक्रम सिंह के सवाल का जवाब देते हुए उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि बल्क ड्रग पार्क के लिए तीन विकल्प सुझाए गए हैं। फैसला सरकार को करना है और इसके लिए जल्द कैबिनेट में चर्चा होगी। पहला विकल्प या तो राज्य सरकार एक हजार करोड़ रुपये का इसमें निवेश कर स्वयं निर्माण करे, या फिर किसी कंपनी के साथ करार कर इसका निर्माण करे। दूसरे विकल्प में 51 फीसदी की हिस्सेदारी सरकार रखे और 49 फीसदी की हिस्सेदारी निजी कंपनी को दे।

तीसरा विकल्प पीपीपी मोड

तीसरा विकल्प पीपीपी मोड का है। इन पार्कों का कार्य पारदर्शिता के साथ किया है। भारत सरकार की गाइडलाइन के आधार पर कार्य हो रहा है। बल्क ड्रग पार्क के लिए पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए दस्तावेज जमा करवा दिए हैं और मार्च में जन सुनवाई होगी। इस पार्क में जो ट्रीटमेंट प्लांट बनना है, वह अंतरराष्ट्रीय स्तर का होगा। पार्क का प्रोजेक्ट 1,923 करोड़ रुपये का है और इसके लिए केंद्र ने 225 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। अगर इस प्रोजेक्ट में और देरी हुई तो निवेशक भी मिलना मुश्किल होंगे।