नई दिल्ली। देशभर में दवा दुकानों पर पिछले कुछ समय से कई जरूरी दवाओं की सप्लाई चेन में समस्या आ रही है। माना जा रहा है कि अगले कुछ महीनों के दौरान लोगों को भारी दवा संकट का सामना करना पड़ सकता है। जरूरी दवाओं, एंटीबायोटिक और विटामिन की सप्लाई में कमी की आशंका के पीछे कई वजह हैं। दरअसल, देश में दवा बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले 60 फीसदी से अधिक बल्क ड्रग्स चीन से आयात होते हैं। इस वक्त बल्क ड्रग्स सप्लाई करने वाली चीन की ज्यादातर कंपनियां अपने प्लांट अपग्रेड कर रही हैं या पर्यावरण मानकों का पालन न करने की वजह से बंद की जा रही हैं।
हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि एपीआई में इस्तेमाल होने वाले बल्क ड्रग्स के आयात में गिरावट आई है और कुछ तो भारतीय बाजार में उपलब्ध ही नहीं हैं। ऐसे में दवा मैन्यूफैक्चरर्स के लिए आने वाले दिनों में प्रोडक्शन मुश्किल हो जाएगा। दरअसल बल्क ड्रग्स की कमी के कारण बड़ी तादाद में दवा मैन्यूफैक्चरिंग पर संकट छाया हुआ है। बल्क ड्रग्स सप्लाई की कमी का असर कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली, स्टेरॉयड्स, चिंता और हाइपरटेंशन की दवाओं पर पड़ सकता है। दवा मैन्यूफैक्चरर्स का कहना है कि उनका पाइपलाइन स्टॉक भी अब खत्म हो रहा है। बल्क ड्रग्स की कमी की वजह से इसके दाम 20 से 90 फीसदी बढ़ चुके हैं।
साथ ही दवा मैन्यूफैक्चरिंग में भी कमी आई है। मसलन बुखार और दर्द में काम आने वाली पैरासिटामोल के एपीआई की कीमत पिछले छह महीने में दोगुने हो चुके हैं। चूंकि कई दवाइयां सरकार के प्राइस कंट्रोल के तहत आती हैं इसलिए मैन्यूफैक्चरर्स इसके दाम तो नहीं बढ़ा सकते लेकिन इसकी मैन्यूफैक्चरिंग में उन्होंने कटौती कर दी है। इस कारण मार्केट में दवाइयों की कमी महसूस की जा रही है। सरकार ने इस साल मार्च में बताया कि पिछले दो साल के दौरान 851 ड्रग्स फाम्र्यूलेशन की कीमत 5 से 40 फीसदी कम की जा चुकी है। रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री ने लोकसभा में जानकारी दी कि लगभग 234 आवश्यक दवाओं की कीमत 5 फीसदी तक कम कर दी गई है। इसके अलावा नेशनल फार्मास्यूटिकल्स अथॉरिटी ने 65 प्रोडक्ट्स के दाम 25-30 फीसदी और 46 प्रोडक्ट के दाम 30-35 फीसदी कम कर दिए। इसका नतीजा यह हुआ है कि ज्यादातर दवा निर्माताओं ने मैन्यूफैक्चरिंग में कटौती कर दी। इससे मार्केट में दवाओं की सप्लाई घट गई है।