बाड़मेर। बाड़मेर जिले से इस बार 26 चिकित्सक विशेषज्ञ बनने जा रहे हैं। हालांकि हर साल विशेषज्ञ चिकित्सकों का चयन होता है लेकिन बाड़मेर के हिस्से में कुछ नहीं आता। जिले में 66 में से 55 विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद रिक्त हंै और मेडिकल कॉलेज भी इस सत्र में इसी कारण प्रारंभ नहीं हो रहा है कि यहां कोई विशेषज्ञ चिकित्सक आना नहीं चाह रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में चिकित्सक नियुक्त होने पर एक साल के दस, दो साल के पंद्रह और तीन साल के अनुभव पर 20 प्रतिशत बोनस अंक का फायदा मिलता है। ऐसे में अधिकांश चिकित्सक सीमावर्ती क्षेत्र के गांवों में नियुक्ति इसी उद्देश्य से लेते हैं कि तीन साल तक यहां रहकर स्नातकोत्तर की तैयारी कर लेंगे। इसका लाभ भी मिल रहा है। पीजी में चयन होने पर इनको तीन साल तक प्रशिक्षण लेता होता है और इसके साथ ही यह प्रमाण पत्र भी देना होता है कि आगामी पांच साल तक सरकारी सेवा में रहेंगे।
इसके बाद ग्रामीण क्षेत्र में ही या उसी जिले में रहेंंगे ऐसा नहीं है। ऐसे में पीजी में चयन होते ही बाड़मेर छोड़ जाते हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. कमेलश चौधरी ने बताया कि जिले से पीजी में चयन हुए चिकित्सकों का फायदा जिले को मिलेगा। पांच लोग स्थानीय हैं। अब स्थानीय चिकित्सकों की संख्या बढ़ रही है। इससे जिले के लोगों को फायदा मिलेगा। जिले में इन चिकित्सकों के जाते ही पद खाली हो जाएंगे। इसके लिए राज्य सरकार संविदा का विकल्प देती है लेकिन आलम यह है कि संविदा पर चिकित्सक नहीं आने से यह पद भी खाली रह जाते हैं। जिले में मेडिकल कॉलेज में भी विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं मिल रहे हैं। जिले में नियुक्त चिकित्सकों को पदोन्नति तो दी गई है लेकिन इससे भी पूरा स्टाफ नहीं मिला है। ऐसे में इस साल मेडिकल कॉलेज प्रारंभ नहीं हो रहा है।