दोनों ने फ्यूजन इलाज के लिए संयुक्त रिसर्च का किया था ऐलान
पतंजलि शोध लैब के उद्घाटन में डॉ. त्रेहन को नहीं मिला न्यौता
नई दिल्ली/ हरिद्वार: बामुश्किल 6 महीने पहले दिल्ली में बाबा रामदेव और जाने-माने हार्ट सर्जन एवं विख्यात अस्पताल मेदांता के मालिक डॉ. नरेश त्रेहन ने गलबहियां करते हुए ऐलान किया था कि रोगों के इलाज में आयुर्वेद के दावों पर दोनों मिल कर शोध करेंगे। लेकिन बुधवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरिद्वार में बाबा रामदेव के अत्याधुनिक पतंजलि शोध संस्थान का उद्घाटन कर रहे थे तो डॉ. त्रेहन नदारद थे। उन्हें बाबा रामदेव ने इस कार्यक्रम में आने का न्यौता तक नहीं दिया। ऐसा लगता है जैसे साझे शोध की उनकी कथित महत्वाकांक्षी योजना खटाई में पड़ गई है।
        मेडिकेयर न्यूज ने एक लेक्चर के सिलसिले में दुबई के लिए रवाना हो रहे डॉ. नरेश त्रेहन से जब फोन पर पूछा तो वे इस बात तक से अनभिज्ञ थे कि पतंजलि में उनके शोध लैब का पीएम उद्घाटन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें वहां आने का न्यौता भी नहीं मिला।
पतंजलि लैब का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा भी कि आदर्श स्थिति यह होगी कि सभी तरह के ज्ञान एक साथ मिल कर समग्र इलाज की राह निकालें लेकिन लगता है पारंपरिक और आधुनिक के बीच की खाई अभी भी जस की तस है।  होटल ताज में आयोजित 3 दिवसीय इंटरनेशनल कोरोनरी कांग्रेस में बाबा रामदेव और डॉ. त्रेहन ने दिल के रोग, कैंसर, निम्न रोग प्रतिरोधक क्षमता जैसे रोगों के इलाज के लिए साझे शोध का ऐलान किया था। डॉ. त्रेहन ने उस समय कहा था कि मेदांता और पतंजलि इसके लिए जल्द ही एमओयू पर हस्ताक्षर करेंगे। बाबा रामदेव के सुर में सुर मिलाते हुए डॉ. त्रेहन ने अनुलोम- विलोम से होने वाले फायदे की महिमा भी बताई थी। डॉ. त्रेहन ने बताया था कि कैसे वे दिन में कई बार अनुलोम-विलोम कर अपने मन को शांत बनाए रखते हैं।
इस घोषणा के ठीक बाद मेडिकेयर न्यूज से बात करते हुए डॉ. त्रेहन ने कहा था कि यह सहयोग ऐतिहासिक साबित होगा। इससे पूरी दुनिया में दिल एवं अन्य रोगों के इलाज की होलिस्टिक हीलिंग ( सर्वांगीण चिकित्सा) का एक ट्रेंड शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा था कि मैं लंबे समय से इस बात का पैरोकार रहा हूं कि आधुनिक चिकित्सा के साथ योग एवं आयुर्वेद का मिलन हो जाए तो रोगों का इलाज बहुत सस्ता हो जाएगा। लेकिन इसके लिए व्यापक शोध की जरुरत पड़ेगी। उन्होंने आगे कहा था कि दिल के रोग के लिए जोखिम कारक कोलेस्ट्राल को कम करने के लिए हम मरीजों को स्टैटिन नामक दवा लिखते हैं लेकिन स्टैटिन से तंत्रिका और मांसपेशीय दुष्प्रभाव होने के कुछ स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। बाबा रामदेव दावा करते हैं कि अर्जुन पेड़ की छाल से बनी दवा स्टैंटिन से बेहतर काम करती है, वह भी बिना किसी दुष्प्रभाव के। हमने उनके इस दावे की सत्यता जांचने का फैसला किया है। शोध के बाद अगर यह दावा सही निकला तो वे स्टैटिन की जगह अपने मरीज को अर्जुन की छाल भी लिखेंगे। उन्होंने कहा कि बाबा यह भी दावा करते हैं कि लॉकी का रस पीने से एंजियोप्लास्टी कराने की जरुरत नहीं होगी क्योंकि यह रस दिल की रुकी नलियों को खोलता है। डॉ. त्रेहन ने कहा था- दिल की सफल सर्जरी के बाद भी मरीज भारी सदमे की स्थिति में जीता है। आधुनिक तथा प्राचीन इलाज का मिलन हो जाए तो ऐसी स्थिति से बचा जा सकेगा। शरीर में रोगों से लडऩे की क्षमता का विकास होगा। नए युग की यह दवा भारत से निकलेगी और इससे उन लोगों को भी फायदा पहुंचेगा जिन्हें उत्कृष्ट इलाज मयस्सर नहीं।
डॉ. त्रेहन ने गुडग़ांव स्थित अपने अस्पताल का नाम इस अर्थ के साथ मेदांता रखा था कि वहीं दवा की खोज का अंत हो जाता है। मतलब यह कि अगर किसी मरीज का मेदांता में इलाज नहीं हो सका तो उसका और कहीं इलाज नहीं हो सकता। अस्पताल जब बना था तो डॉ. त्रेहन ने यह भी ऐलान किया था कि वे मेदांता में आयुर्वेद को समाहित कर इलाज को सस्ता करने की कोशिश करेंगे।
बहरहाल, रामदेव ने हरिद्वार में 200 करोड़ की लागत से 40 एकड़ जमीन पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की अत्याधुनिक शोध प्रयोगशाला स्थापित की है जिसका उद्घाटन करते हुए पीएम भी चमत्कृत हुए। बकौल बाबा, इस प्रयोगशाला में आयुर्वेदिक दवा की खोज, दवा का क्लिनिकल परीक्षण एवं दवा की स्क्रीनिंग होगी। उनका दावा है कि आयुर्वेद को दुनिया के पैमाने पर स्थापित करने के लिए उन्होंने यह शोध प्रयोगशाला खोली है। आयुर्वेदिक दवाओं को अब तक यह कह कर खारिज किया जाता रहा है कि वे वैज्ञानिक शोध पर आधारित नहीं हैं और उनका मानकीकरण नहीं हुआ है।