भिवानी। मोतियाबिंद के ऑपरेशन के दौरान आंखों में इंफेक्शन होने के चलते भिवानी, करनाल व झज्जर के अस्पतालों से पीजीआईएमएस भेजे गए 38 मरीजों में छह मरीज रोहतक जिले के भी हैं। इन मरीजों की भी आंखों में परेशानी बनी हुई है। दोबारा से ऑपरेशन और इलाज के लिए इन्हें पीजीआईएमएस के वार्ड नंबर 11 में भर्ती करवाया गया है। इस मामले में सरकार के संज्ञान लेने के बाद जैसे ही भिवानी के सिविल सर्जन डॉ. आदित्य स्वरूप गुप्ता की टीम जालान अस्पताल भिवानी के नेत्र विशेषज्ञ डॉ. एडविन के साथ वार्ड में पहुंची तो मरीजों ने हंगामा कर दिया। मरीजों ने टीम के सामने बाहर से महंगी दवा मंगवाने की शिकायत की। मरीजों ने कहा कि भिवानी के सरकारी जालान अस्पताल में निशुल्क इलाज हुआ और दवा भी मिली। यहां की लापरवाही की वजह से हमारी आंखों की रोशनी जाने का संकट पैदा हो गया है। ऐसे में उन्हें राहत देने की बजाय पीजीआई में महंगी दवा बाहर से मंगवाई जा रही है। गलती सरकारी अस्पताल के डॉॅक्टरों की ही है। अब डॉक्टरों की गलती का खामियाजा भी उन्हें ही भुगतना पड़ रहा है। इस हंगामे को शांत करवाते हुए सिविल सर्जन डॉ. एएस गुप्ता ने तुरंत प्रभाव से मरीजों को आश्वस्त करते हुए कहा कि मरीजों से बाहर से कोई दवा नहीं मंगवाई जाएगी। चाहे मरीजों को एम्स रेफर करना पड़ा तो वहां भी उनका इलाज किया जाएगा। मरीजों के इलाज की दवा के लिए जरुरत पड़ी तो सिविल अस्पताल भिवानी की सोसायटी के चेक से इलाज के खर्च की राशि दे दी जाएगी। इसके बाद पीजीआईएमएस प्रबंधन हरकत में आया और तुरंत एक परचेज कमेटी गठित कर पीजीआईएमएस में ही मरीजों की निशुल्क दवा उपलब्ध करवाने का फैसला लिया गया। अभी तक मरीजों से 3 से 4 हजार रुपए तक की बाहर से दवा मंगवाई जा रही थी। मरीज बार-बार ऑपरेशन व दवा के खर्च को लेकर ज्यादा परेशान हैं। अब तक मरीजों की आंखों की रोशनी बचने के चांस 50 फीसदी ही माने जा रहे हैं। पीजीआईएमएस में इन केस को निपटाने के लिए तीन नेत्र विशेषज्ञों की कमेटी गठित कर दी गई है, जोकि दिन-रात ऑपरेशन करने में जुटे हुए हैं। इन केसों का निपटाने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी डा. जितेंद्र फौगाट, डॉ. मनीषा नाडा व डॉ. सुनील वर्मा को जोड़ा गया है। आंखों में इंफेक्शन होने के चलते मरीजों की हालत बिगड़ी है। पीजीआई में इन सभी मरीजों को वार्ड नंबर 11 में रखा गया है। कुल 35 में से 19 मरीजों की आंखों की हालत इतनी खराब हो गई है कि उनका दोबारा से ऑपरेशन भी करना पड़ा है। कुछ के ऑपरेशन को जांचने के बाद दोबारा से दवा डालकर इलाज किया जा रहा है। बता दें कि आंखों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन को लेकर पहले भी इंफेक्शन से दृष्टि जाने के मामले सामने आ चुके हैं। इससे पूर्व मार्च 2015 में पानीपत में एक अस्पताल की ओर से लगाए गए शिविर में ऐसा ही मामला सामने आया था। पानीपत में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद तीन महिलाओं सहित 14 बुजुर्गों की आंखों में इन्फेक्शन हो गया। वहीं, हाल ही में 19 मार्च को कुरुक्षेत्र के सिविल अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के चलते 24 मरीजों की आंखों में इंफेक्शन हो गया। इसमें कुछ महिलाएं भी शामिल थी। कुरुक्षेत्र जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसके चलते कुछ समय के लिए अस्पताल में आंखों की सर्जरी ही रोक दी थी।