मुंबई। कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों की वजह से दवा दुकानदारों के संगठन ने बिना डॉक्टर के पर्चे के किसी को भी सर्दी, खांसी और बुखार से जुड़ी दवाएं नहीं देने का फैसला किया है। दरअसल कई राज्यों ने निगरानी के लिए ऐसी दवाएं खरीदने वाले ग्राहकों के फोन नंबर और पते का रिकॉर्ड रखने के लिए मेडिकल दुकानों से संपर्क किया था। देशभर में लगभग 850,000 दवा दुकानदारों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख संगठन एआईओसीडी के महासचिव राजीव सिंघल ने कहा कि इस संबंध में कोई सरकारी अधिसूचना नहीं आई है। हालांकि, हमें लगता है कि अब दवा दुकान के काउंटर पर सर्दी, खांसी और बुखार के लिए दवाएं देना सुरक्षित नहीं है। हमने संगठन से जुड़े दवा विक्रेताओं से कहा है कि वे मरीज को पास के अस्पताल में जाने का सुझाव दें जहां यह जांच में पता चल सके। इस तरह के लक्षण दिख रहे हैं या नहीं क्योंकि उनके लिए भी यही एक सुरक्षित तरीका है। यदि कोई मरीज कफ सिरप, पैरासिटामोल और सर्दी-जुकाम के लिए एंटीबायोटिक मांगता है तो दवा विक्रेता व्यावहारिक रूप से इसे नहीं बेचेंगे और उन्हें जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह देंगे। क्या इसका मतलब यह है कि कोई बदल दर्द आदि के लिए पैरासिटामोल नहीं खरीद सकता है? सिंघल का कहना है कि दवा विक्रेता खांसी और जुकाम के लक्षण दिखाने वाले मरीज को मना कर देंगे या फिर वे खांसी, जुकाम और बुखार में काम आने वाली दवा मांगेंगे तो उसके लिए भी मना कर दिया जाएगा। हालांकि पेन किलर के तौर पर अगर कोई पैरासिटामोल मांग रहा है तो उसे दे दिया जाएगा। गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान में स्टोर चलाने वाली फार्मेसी चेन मेडकार्ट के संस्थापक और निदेशक अंकुर अग्रवाल ने कहा कि वे आम तौर पर सर्दी, खांसी और बुखार की दवाओं या इसी तरह के लक्षणों वाले मरीजों को सार्वजनिक अस्पतालों में जाने के लिए कह रहे हैं। हालांकि कुछ दवा विक्रेताओं का कहना है कि फिलहाल डॉक्टर की पर्ची मिलना संभव नहीं है क्योंकि ज्यादातर ओपीडी बंद हैं। मुंबई स्थित एक दवा विक्रेता ने बताया कि हम विशेष रूप से पुराने रोगियों के साथ थोड़ा नरमी बरत रहे हैं जिनके डॉक्टर के पर्चे छह महीने से अधिक पुराने हैं।