Pharmacy Practice Regulations: एक बार फिर से फार्मेसी प्रेक्टिस रेगुलेशन (Pharmacy Practice Regulations) चर्चा में आ गया है। अन्य राज्यों की तरह अब बिहार में भी फार्मेसी प्रेक्टिस रेगुलेशन को लागू  कर दिया गया है। इसे लागू करने वाला बिहार देश का चौथा राज्य बन गया है। बिहार से पहले कर्नाटक, केरल और दिल्ली में ये कानून लागू था। इस कानून के लागू होते ही बिहार में अब फार्मा क्लीनिक खुलने का रास्ता साफ हो गया है। इन क्लीनिकों के खुलने से दवा विक्रेता दवाओं की जानकारी देने पर फीस ले सकेंगे।

क्या होता है फार्मेसी प्रेक्टिस रेगुलेशन (Pharmacy Practice Regulations) 

साल 2015 में फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से फार्मेसी प्रेक्टिस रेगुलेशन एक्ट को बनाया गया था।इस एक्ट का उद्देश्य फार्मेसी सेक्टर में सुधार करना और उसे रेग्युलेट करना था।  सीधे तौर पर कहा जाए तो भारत में दवाई की दुकान चलाने वाले फार्मासिस्ट को लेकर कुछ नियम बने हुए हैं जिसमें फार्मासिस्ट की जिम्मेदारियां तय की गई हैं। इसे साल 2021 में अपडेट भी किया गया था।

फार्मेसी प्रेक्टिस रेगुलेशन एक्ट के तहत फार्मासिस्ट प्रेक्टिस के नियम, फार्मासिस्ट बनने के नियम, फार्मासिस्ट की जिम्मेदारियां जैसे नियमों के बारे में बताया गया है। इस कानून में फार्मासिस्ट को मरीजों को सलाह देने पर फीस लेने की छूट दी गई है।

क्या सलाह देने पर फीस लेंगे फार्मासिस्ट

इस नियम के लागू होते ही लोगों को लगने लगा कि, अब फार्मासिस्ट भी दवाई लिख पाएंगे और अपना क्लिनिक खोल पाएंगे. लेकिन, ये कानून ऐसा करने की इजाजत नहीं देता है।

इस बारे में सरकार की तरफ से भी इस पर स्पष्टीकरण भी आ चुका है जिसमें बताया गया है कि फॉर्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन नियम में क्लिनिक खोलने को लेकर कोई भी प्रावधान नहीं है।

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दरअसल, इस एक्ट के तहत कोई भी फार्मासिस्ट सिर्फ दवाई का नाम और उसके बाद में जानकारी दे सकते हैं। इसके अलावा, फार्मासिस्ट दवाई की मात्रा, दवाई लेने के तरीके, उसे स्टोर करने के तरीके आदि…को लेकर सलाह दे सकते हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वो डॉक्टर की तरह दवाई सजेस्ट कर दें।