पटना
बिहार के स्वास्थ्य विभाग में पैरवी एवं पैसे के बल पर फर्जीवाड़े का बाज़ार गर्म है। विभागीय पदाधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी नियुक्ति एवं फर्जी स्थानांतरण का मामला उजागर होने के बावजूद कर्मी बेफिक्र हैं, फर्जी नियुक्ति को अंजाम देने वाले विभागीय पदाधिकारियों के चलते उक्त कर्मियों की सेवा पुस्तिका भी बना दी गई। सच्चाई सबके सामने न आ जाए, इससे बचने के लिए उक्त कर्मी फर्जी स्थानांतरण पत्र के आधार पर तबादला कराते रहे, प्रमुख निदेशक-स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा उक्त कर्मियों की सेवा समाप्त करने के लिए विभागीय कार्रवाई का आदेश निर्गत किया। इसके बावजूद आज तक उन पर कार्रवाई नहीं हुई।
फर्जी नियुक्ति एवं स्थानांतरण का मामला सिविल सर्जन कार्यालय बेगूसराय में कार्यरत लिपिक शिव नंदन महतो एवं नंद किशोर पंडित से संबंधित है। शिव नंदन की नियुक्ति सिविल सर्जन मधुबनी के फर्जी नियुक्ति पत्रांक 1179 दिनांक 29.06.1987 के आधार पर मधुबनी जि़ले के लदनियां पीएचसी में की गई. 1977 से 1989 तक वह लदनियां पीएचसी में लिपिक पद पर कार्यरत रहा। फिर उसने अपना तबादला क्षेत्रीय उपनिदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं, दरभंगा प्रमंडल कार्यालय, बेगूसराय करा लिया. इसी दौरान डॉ. अरविंद प्रसाद सिंह, ग्राम हर्रख, पोस्ट-जि़ला बेगूसराय द्वारा जि़ला पदाधिकारी को  आवेदन दिया गया कि शिवनंदन महतो की नियुक्ति फर्जी है, जिला पदाधिकारी ने वरीय कोषागार पदाधिकारी द्वारा जांच कराई। जांच में पाया गया कि शिवनंदन महतो के नियुक्ति एवं स्थानांतरण पत्र फर्जी हैं इसी तरह नंद किशोर पंडित ने सिविल सर्जन, मधुबनी के फर्जी नियुक्ति पत्रांक 1575 दिनांक 05.08.1987 के आधार पर मधेपुर पीएचसी में लिपिक का पद ग्रहण किया और उपनिदेशक, स्वास्थ्य सेवा, दरभंगा प्रमंडल के फर्जी स्थानांतरण पत्रांक 29 दिनांक 18.01.1989 द्वारा अपना तबादला बेगूसराय सिविल सर्जन कार्यालय में करा लिया डॉ. अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि नंद किशोर पंडित की नियुक्ति फर्जी है। जि़ला पदाधिकारी ने कोषागर पदाधिकारी द्वारा मामले की सघन जांच कराई। कोषागार पदाधिकारी ने अपने जांच प्रतिवेदन में कहा कि लिपिक नंद किशोर पंडित के नियुक्ति और स्थानांतरण पत्र फर्जी हैं। जिला पदाधिकारी ने प्रधान सचिव, स्वास्थ्य विभाग को जांच प्रतिवेदन भेजते हुए अनुरोध किया कि शिव नंदन महतो और नंद किशोर पंडित की नियुक्तियां फर्जी हैं, जिन्हें भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए सेवामुक्त किया जाए बावजूद इसके नंद किशोर पंडित और शिव नंदन आज तक अपने पद पर कार्यरत हैं। उक्त कर्मी 28 वर्षों से कोषागार से वेतन प्राप्त करते रहे, एक स्थान से दूसरे स्थान पर तबादला कराते रहे, अगर स्वास्थ्य मंत्री उच्चस्तरीय जांच कराएं, तो फर्जी नियुक्तियों के और भी मामले उजागर हो सकते हैं।